बुधवार, 24 जून 2015

HUM KABH SUDHARNGE

Haii friends आज में फिर अपना एक नया blog लिखने जा रही हु। आप लोग इस blog को भी तहे दिल से पसंद करेंगे। जैसा कि आप लोग जानते है कि मेरे blog सामाजिक मुद्दो से प्रेरित होते है उसी तरह आज का blog भी एक सामाजिक मुद्दा है। 

                         हम सब मिलकर व्यवस्था को बहुत कोसते है न ?यह सही नहीं है। वो सही नहीं है यह गलत हो रहा है वो गलत हो रहा है गलत के खिलाफ आवाज उठाओ।जरुरी है क्यों  हम और आप डर जा ते है और गलत के खिलाफ आवाज नहीं उठाते, जो करना चाहते है वही नहीं करते। 

             मैंने कही पर सुना था। कि जुर्म करने से बड़ा अपराधी जुर्म सहने वाला होता है। और यह सच है जब तक आप जुर्म सहोगे,तब तक करने वाले कि हिम्मत भी बढ़ेगी ना, फिर आप कोसते रहो अपने भाग्य को। की मेरे साथ यह गलत हुआ।वो गलत हुआ। जब आवाज उठाने का वक्त था।तब तो बोले नहीं। 

                   इसके साथ साथ एक और  महत्वपूर्ण बात अन्याय के खिलाफ आवाज उठाओ खुलकर उठाओ पर अपने आप को सुधारकर उठाओ। दूसरे पर उंगली करने से पहले हमें ध्यान रखना होगा उसी हाथ की चार ऊँगली हमारी अपनी तरफ है।

                         सवासो करोड़ देश वासियो का देश भारत ,और हम सब मिलकर व्यवस्था को कोसते रहते है क्यों नहीं आप और हम दिन रात  मिलकर उस व्यवस्था को ठीक करते जिसका आप और हम हिस्सा है मिलकर ठीक करो उस व्यवस्था को, जिसे दिन रात कोसते हो। और यह काम आप तब तक नहीं कर सकते जब तक आप और हम खुद सुधर नहीं जाते। 

                     आप क्या भ्र्ष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे यदि आप खुद भ्रष्ट है तो ? आप क्या नारी सम्मान कि बात करेंगे ? यदि आप खुद ही नारी का सम्मान नहीं करते।आप क्या अपने बच्चों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाएंगे।यदि आप खुद बईमान है तो। पहले खुद, अपने आप को सुधारना होगा।

                मुझे मालूम है कहेंगे की मैरे अकेले सुधरने से क्या होता है बहुत अच्छा एक्सक्यूज़ है वां , जिंदगी भर ऐसे ही एक्सक्यूज़ देते रहिये और जिंदगी भर उस व्यवस्था को कोसते रहिये जिसका आप और हम हिस्सा है। या फिर कहेंगे की मेरे ऊपर वाला खाता है तो में क्यों ना खाऊ। आईए सब मिलकर एक साथ खाते है और देश को फिर गुलामी की जंजीरो में बांधते है। क्या कारणः  है देश के 68 वर्ष बीत जाने पर भी हम भ्रष्टाचार ,दहेजप्रथा नारी सम्मान जैसे मुद्दो पर संघर्ष कर रहे है जहाँ हमें विकास की बात करनी चाहिए। और  हम अभी तक यही लटके हुए है।                                                                                                                                                           क्योकी हम और आप यह सोचते है की जिस दिन और लोग सुधरेंगे उस दिन हम सुधर जायेंगे। हम यह नहीं सोच पाते जिस दिन मै सुधर गये । उस दिन यह व्यवस्था अपने आप सुधरती  चली जायगी।  व्यवस्था हमसे बनती है हम व्यवस्था से नहीं। और जिस दिन आप और हम सुधर गए उस दिन यह व्यवस्था भी सुधर जायगी और हमारे हालत भी। हम सब अपनी अपनी गारंटी तो ले सकते है ना,की हम कोई गलत काम नहीं करेंगे।और यह तब संभव है जब आप और हम मिलकर देश के सवा सौ देश वासी देश के लिए काम करे। 

                 दोस्तों  हम सब मिलकर जो हमारे देश का नारा है मेरा भारत महान उसको सच में सार्थक बनाये ताकि आज से दस साल बाद जब हमारे आने वाली पीढ़ी आये तो वह फक्र से कह सके मेरा भारत महान ना की मेरा भारत महान कहकर भारत की किसी कमजोरी की तरफ इशारा करे।

                                                   जय हिन्द                                                                                                                                                                       जय भारत