मंगलवार, 6 अक्तूबर 2015

NAYI SOACH: DHARM BHARAT AASTHA OR ANDHVISHWAS

NAYI SOACH: DHARM BHARAT AASTHA OR ANDHVISHWAS: Ha ii friends आज फिर में अपना एक blog लिखने जा रही हुँ। और इसे लिखने से पहले काफी परेशान हुँ। दो तरह के लोग है। इस देश  में ,एक वो जो भगवा...

सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

DHARM BHARAT AASTHA OR ANDHVISHWAS

Ha ii friends आज फिर में अपना एक blog लिखने जा रही हुँ। और इसे लिखने से पहले काफी परेशान हुँ। दो तरह के लोग है। इस देश  में ,एक वो जो भगवान को मानते है। और दूसरे  वो, जो भगवान को नहीं मानते। में इस बहस में बिलकुल नहीं पड़ना चाहती कौन सही है और कौन  गलत। सबकी अपनी आस्था है। विचार है। और जिस दिन ना मानने वालो को लगेगा, भगवान है। ,तो वो मान लेंगे। और जिस दिन मानने वालो को लगेगा कि ,भगवान नहीं है , तो वो मानना छोड़ देंगे । यह समझ समय समय  पर बदलती रहगी।  क्योकि  इन सभी ने भगवान को माना है। जाना तो है। नहीं, और  जिस दिन जान लेंगे उस दिन मानना छोड़ देंगे।  क्योंकि जब हम किसी चीज को जान लेते है। तो उस चीज को मानना  छोड़ देते है। जैसे आग जला देगी ,यह आप जानते है। या मानते है ?आप जानते है के आग में जायेंगे तो जलेंगे , यह आप मानते नहीं है  तो अभी बहुत कुछ जानना बाकि है।  उस परमेश्वर के बारे में,और जिस दिन जान जायेंगे, उस दिन सभी सांप्रदायिक झगड़ो  से मुक्त भारत का निर्माण करेंगे।

          ख़ैर मेरा  प्रश्न उन लोगो से है।  जो ईश्वर भगवान, अल्लाह किसी को भी मानते है जब आप मानते है भगवान है तो क्यों इस देश में भगवान और धर्म के नाम पर झगड़े होते है। ?कौन सा भगवान हमे झगड़ा करना सिखाता है ?हिन्दू का, मुसलमान का, सिख का ,इसाई का ?कौन  सा धर्म सिखाता है। आपस में झगड़े करो?  हिंसा फैलाओ मुझे यह बता दीजिये। भगवान को मानने वालो।

        भगवान तो शांति और प्रेम का प्रतीक है न ,

          दूसरा प्रश्न भी मेरा इन्ही लोगो से है क्यों अपनी आस्था को अंधविश्वास में तब्दील करते  जा रहे है।? क्यों उम्मीद रखते है कि कोई चमत्कार होगा और सब ठीक हो जायेगा। राहत भाई का एक शेर है ना किसी राहबर ना किसी रहगुजर  से निकलेगा अपने पाँव का काँटा है ,हमी से निकलेगा।

          21 वी शताब्दी के भारत में भी तमाम news channel पर ऐसी ख़बरे देखने को मिल जाती है। जिसमे अन्धविश्वास की हद होती है और  सर शर्म से झुक जाता है।

             आज ही की एक खबर में 14 साल की नाबालिक लड़की को जल समाधि इसलिए लेनी है क्योंकि वो अपने आपको एक दैवीय अवतार समझती है। और जब प्रशासन वहाँ पहुँचता है। तो गाँव के निवासी विरोध करते है। अगर इसने जल समाधि नहीं ली तो गाँव पर संकट आ जायेगा।

                अंधविश्वास की भी चरम सीमा है। ,यह सब

            ऐसी ही एक और खबर ,जिसमे एक मुस्लिम परिवार के पिता और बेटे को इस हद तक मारा जाता है की पिता दम तोड देता है। और बेटा तीन दिन से अस्पताल में भर्ती है। सिर्फ इसलिए, क्योंकि सिर्फ एक अफ़वाह थी ,उस घर में गाय का मास  है  सिर्फ इस बात से भीड़ को भड़काया जाता है। और बिना बात एक निर्दोष इंसान को मृत्यु की गोद में सुला दिया जाता है।

      कितना आसान है। ना, इस देश में कभी भी कही भी झगडे करा देना। क्योंकि हम लोग भड़कते इसलिए तमाम लोग इसका फायदा उठाते है। कैफ़े आज़मी का एक शेर है

        जब हाथों से उम्मीदों को शीशा छूट जाता है

पल भर में ही , ख्वाबो से पीछा छूट जाता है।

     कुछ देर यदि हम और आप लड़ना भूल ,जाते है

     तो सियासी सूरमाओं का पसीना छूट जाता है

धर्म के नाम पर सांप्रदायिक झगड़े करवा ये जाते है। हिन्दू ,मुसलमान बनाकर घृणा फैलाई जाती है और सियासी रोटियाँ से की जाती है। और हम लोग सेक ने देते है। बहिष्कार नहीं करते ऐसे लोगो का जो हिन्दू मुसलमान के नाम पर झगड़े कराते है।

         कहाँ जा रहे है।  हम ,यह रूक कर हमे सोचना पड़ेगा। पहले इन्सान बन जाइए उसके बाद हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई या किसी भी धर्म के बन जाना हर धर्म मानवता की नीव पर फला फूला और बढ़ा हुआ और हम मानवता और इंसानियत को भूलकर सब कुछ सिख गए।

       अंधविश्वासने भी हद कर रखी है इस देश में ,हर चीज में अंधविश्वास  ,बिना मतलब के वहम् है लोगो के ,हम लोग आस्था और अन्धविश्वास में अंतर करना भूल गए है। आप भगवान को याद करने के लिए मन्दिर जाते है। यहाँ तक तो सही है। पर ऐसे विचार मन में लाना , यदि आज में मंदिर नहीं गया तो मेरे साथ कुछ गलत हो जायेगा। यह कहा तक सही है ?आज घर में पूजा पाठ नहीं की इसलिए दिन अच्छा नहीं जायेगा। ऐसे कही तरह के लोगो के विश्वास होते है। मन में

                 भगवान को सच -मुच मैं क्या इन बातों से फर्क पढ़ता है। यदि आज सुबह मैने उन्हें जल नहीं चढ़ा या तो वो मेरे साथ बुरा करेंगे। यानि की भगवान भी  बदला लेंगे, मुझसे देख तू ने मेरी पूजा नहीं की ,इसलिए अब में तेरे साथ ऐसा करूँगा। भगवान ,भगवान किस बात का रहेगा ,यदि वो भी इंसानों की तरह सोचैगा।

            भगवान है तो समझे गा की बेचा रे की कोई मजबूरी रही होगी ,इसलिए आज नहीं आया , रोज तो आता है।  कल आ जायेगा।

            भगवान तो सिर्फ और सिर्फ प्रेम करता है। क्या,  कभी कोई  भगवान की बनी चीज फर्क करती है ? आप कोई भी भगवान की बनी चीज ली जिये ,चाहे वो हवा हो ,सूरज हो , पानी हो ,क्या कभी वो फर्क करते है।  यह आदमी अच्छा है इसलिए इसे तो सूरज की रोशनी मिलेगी ,यह आदमी बुरा है। इसलिए इसे सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी।    क्या कभी कोई पेड़ फल देने से पहले सोचता है। की वो हिन्दू को देगा मुसलमान को नहीं या मुसलमान को देगा हिन्दुओ को नहीं। वो तो कोई भेद - भाव नहीं करता ,भगवान सिर्फ और सिर्फ  प्यार करता है बिना किसी भेद  भाव के ,चाहे वो हिन्दू का भगवान हो या मुस्लिमों का अल्लाह , या सिक्खो  के गुरु ग्रन्थ हो या ईसाइयो के जिसस , फिर हम सब भगवान को मानने वाले हिंसक कब से हो गए ?,हमे भी तो प्यार करना चाहिए जैसे वो सब को करता है , उसी के तो अंश है। हम, और उसी के  नक्शे कदम पर चलना चाहिए हमे।

                 एक और छोटी सी कहानी है। एक बार एक महिला जिज्ञासु ने राम कृष्ण परमहँस जी से पूछा ,क्या पंडित लोग ग्रहों की पूजा करके उसकी प्रतिकूलता को अनुकूलता में बदल सकते है। परमहँस जी ने कहाँ ग्रह नक्षत्र इतने क्षुद्र नहीं है। जो किसी पर अकारण उलटे सीधे होते रहे ,और ना उनकी प्रसन्ता ऐसी है। जो छूट -पुट कर्मकाण्डों से बदलती रहे। और पण्डितों के पास उनकी एजेंसी भी नहीं ,की उन्हें दक्षिणां देने पर ग्रहों को जैसा चाहे नाच -नचाया जा सके।

             हम अपने अन्धविश्वास पर इस हद तक विश्वास कर लेते है। की कुछ सोच समझने तक को तैयार नहीं।

             तो बस में आप यही कहना चाहती हुँ। पूजा की जिये पाठ की जिये भक्ति में शक्ति है ,मीरा ने भी की थी।  पर किसी अन्धविश्वास में मत फंसिए। यह सब आपकी मन की शक्ति के लिए होना चाहिए। जो आपको हर दुःख और दर्द से लड़ने की हिम्मत दे।

     और साथ -साथ जो लोग पूजा पाठ  नहीं   करते है। किसी भी वजह से इसका मतलब यह नहीं की वो नास्तिक है। और भगवान को नहीं मानते। हो सकता है। उनकी आस्था आप से भी ज्यादा हो भगवान पर पर वो लोग शायद जरूरी नहीं समझते की पूजा पाठ जरूरी है। हो सकता है उनके लिए मानव सेवा ही पूजा हो या फिर अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से पूर्ण करना ही पूजा पाठ हो तो कभी किसी पर भी उसकी पूजा पाठ को लेकर सवाल उठाना गलत है। हर किसी की अपनी आस्था और अपनी priority है। जो करते है वो भी सही है। और जो नहीं करते वो भी सही है। और शायद जो बिलकुल नहीं मानते है वो भी सही है क्यो कि इसके लिए उनके पास अपने तर्क है।

                                                धन्यवाद 

              

गुरुवार, 17 सितंबर 2015

HINDI DIWAS PAR HINDI ME KHAS

नमस्कार दोस्तों आज फिर आप सब से कुछ बात चित करने का मन हो आया फिर कोशिश कर रही हुँ। कुछ अच्छा लिखने कि। यह ब्लॉग हिंदी दिवस के दिन लिख रही हुं और चाहती हुं कि आज पूर्ण ब्लॉग हिंदी में ही लिखुँ ,पर शायद, अभी मेरे लिए संभव ना हो सके, पर पूरी कोशिश करुँगी , जैसा आपने देखा होगा आज हेलो फ्रेंड्स की जगह नमस्कार दोस्तों लिखा। में अपने ब्लॉग में अँग्रेजी भाषा का इस्तेमाल इसलिए करती हुं की वो आम बोल चाल की भाषा हो जाये। जिससे आप और में आसानी से जुड़ सके।

              आज में आप सब से हिंदी के बारे में बात करना चाहती हुँ। जो हमारी मातृ भाषा है जिसके साथ हम जन्म लेते है। जब कोई नव -जात शिशु जन्म लेता है और जब वो बोलना शुरू करता है। तो अपनी मातृ भाषा में तमाम शब्द बोलना शुरू करता है। जैसे माँ , पापा आदि। क्योंकि हिंदी भाषा उसके सबसे अधिक करीब होती है। फिर आखिर कुछ सालों में ऐसा क्या हो जाता है ?कि हमे उसे, अन्य भाषाएँ पढ़ाने में इतने मशगूल कर देते है। की उसे हिंदी पढ़ना लिखना तक मुश्किल लगने लगता है। उस बच्चे को हिंदी में सौ तक गिनती तक नहीं आती। क्योंकि ,उसको हमने कभी सिखाई ही नहीं होती। अन्य भाषाएँ पढ़ाने में इतना मशगूल कर देते है।की उसे कभी अपनी मातृ भाषा का महत्व ही नहीं समझाते। ना समझाते है। ना समझते है अपनी मातृ भाषा का महत्व।

                सभी भाषाएँ अच्छी है। सबका बोलना पढ़ना समझना चाहिए। हर भाषा का अपना महत्व होता है। अपना अस्तित्व है। पर यह कब सही हो गया ?कि जब आप किसी पंच सितारा होटल में प्रवेश करे तो अँग्रेजी बोलने वाले युवक को तो पढ़ा लिखा, और हिंदी में बात करने वाले को अन पढ़ समझे। क्योंकि वो अपनी मातृ भाषा में आपसे सवांद कर रहा है।

                       यह तो गलत है।

                     हमारी भाषा हिंदी ने तो हमे मीरा  ,तुलसी, सुर  ,कबीर  ,जैसे अनेक महानतम कवि दिए।  और तमाम हिंदी साहित्यकार ,जैसे मुंशी प्रेम चंद  ,मैथिली शरण गुप्त ,हजारी प्रसाद द्विवेदी , सूर्य कांत त्रिपाठी निराला ,हरि वश राय बच्चन जी , जैसे तमाम साहित्यकार और कवि और दिए जिसने हिंदी को गौरवान्वित किया। और इस देश की विंडम्बना देखिये, अपनी भाषा का भी हमे दिन मानना पढ़ता है। जिस भाषा के साथ हम उठते है खाते है पीते है सोते है और अपना पूरा दिन व्यतीत करते है।हिंदी तो हमारे दिल में धड़कती है। पर उसी भाषा में जब पत्र लिखने में भी संकोच करते है तो दुःख होता है। अमिताभ बच्चन जैसे महान कलाकार ने भी जब अपने k.b.c जैसे कार्यक्रम की होस्टिंग की तो संपूर्ण रूप से हिंदी में,जिसे पूरे भारत ने सराहा ,हिंदी भाषा का अपना एक सौंदर्य है अपना वर्चस्व है ,अपना एक कौशल है ,और अपनी भाषा के लिए जरा सी भी हीन भावना रखना गलत है। और अब  तो हिंदी गूगल तक पहुंच गयी। सव सौ करोड़ देश वासियो की भाषा है हिंदी। 

       मुझे आश्चर्य होता है यह देखकर ,जब आज की युवा पीढ़ी ,अपने दिल की बात करने जाती है। तो अंग्रेजी भाषा की चार लाइन रट कर जाती है। की सामने वाले पर  प्रभाव अच्छा पड़ेगा। क्या है यह? आप अपने दिल की बात करने जा रहे है तो उस भाषा में बात करिये जो आपके दिल के करीब हो। तभी तो संवाद  अच्छा होगा।

                     क्या आप अपनी भाषा को इस काबिल भी नहीं समझते की उस भाषा में आप अपनी दिल की बात कर सके। ?

          हिंदी अपने आप में एक समृद्ध भाषा है। हमारे पास एक ही चीज को कहने के लिए  अनेक शब्द है जैसे भगवान। अल्लाह ,परमेश्वर ,ख़ुदा , ईश्वर,  एक  भगवान को याद करने के लिए हमारे पास इतनी समृद्ध सम्पदा  है  उसी  तरह जल और पानी, जब हम पिने के लिए मांगते है तो पानी पर जब पूजा के लिए मांगते है तो जल  हमारे पास उसके हर स्वरूप के लिए शब्द है। हमारे पास इतनी समृद्ध  सम्पदा है। हीरे है जवाहरात है। तो पत्थर के पीछे क्यों भागे। दो सौ करोड़ लोगो के बोल -चाल की भाषा है हिंदी बहुत ही सामर्थ्य वान इतहास है हिंदी भाषा का अनेको कवि यों और साहित्य कारों ने हिंदी को गौरवान्वित किया है और उसके बाद भी यदि हमने अपनी भाषा माँ हिंदी को सम्मान नहीं दिया। तो यह उस भाषा और माँ के प्रति अन्याय है। जो इतनी विकसित है।

            और अंत में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की हिंदी पर कविता

                      लगा रही प्रेम हिंदी में ,पढ़ु हिंदी लिखू हिंदी ,चाल चलन हिंदी

                ओढ़ना पहनना और खाना हिंदी


                       इन्ही पंक्तियों के साथ

                                       जय हिन्द

                                                            जय भारत



     











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मंगलवार, 15 सितंबर 2015

Shiksha OR Hunar saath saath

Haii friends आज में फिर अपना एक blog लिखने जा रही हुँ जो शिक्षा प्राणली  के बारे में है। हालांकि यह विचार मेरे नहीं है। deputy C.M Manish sisodia ji के है। जिनका मैने ,आज एक lacture सुना जिससे में बहुत प्रभावित हुई। उसी speech के कुछ अंश में आप सब से शेयर करना चाहती हुँ। 


        मेरा बचपन में एक ख्वाब था। की मे शिक्षक बनु। पर बचपन की नादानी की वजह से में शिक्षक नहीं बनी ।उस समय यह सोचा ही नहीं में क्या बनना चाहती हु।? आज सात साल की job के बाद समझ में आता है। की शायद कुछ खोया है। जो बनना चाहती थी।  शायद वो बनती तो आज किसी और ऊचाइयों पर होती। काम बोझ नहीं लगता। मन लगता उसे करने में। खेर कोई बात नहीं बहुत अच्छी job है मेरी, सुखी हु comfort level में हुँ। और सब अच्छा है अपनी बात लोगो तक पहुँचाने के लिए blog लिखना शुरू कर दिया है। मैने 


          पर आज  ,जब पीछे मुड़कर देखती या सोंचती हुँ की यह बात उस वकत,  मेरी समझ मै क्यों नहीं आई ? क्यों मेरे पास इतना समय अपने लिए ही नहीं था। कि पाँच मिनट शान्ति से बैठ कर यह सोचती की जो मुझे बनना है वो क्यों बनना है? और जो मुझे करना है वो क्यों करना है। ?झट -पट 12 की जिस field में number आया उस course में  admission ले  लिया  और फिर job मिल गयी। कभी यह सोचा ही नहीं कि क्या सिर्फ जिन्दगी में पैसे कमाने की मशीन बनना है?। या कुछ ऐसा करना है जिसमे अपनी संतुष्टि हो। 

        इसके कारण खोजने शुरू किये मैने ,आखिर क्यों उस वकत  यह सब मेरी समझ में                                          नहीं आया?जो शायद  sir की बात सुनने पर कुछ समझ में आया है। 


   पहला कारण शायद इतना syllabus की उसे पढ़ने  रटने और number लाने की दौड़ में। कि कही class में किसी से पीछे ना रहे जाये ,कभी यह सोचा ही नहीं की यह सब पढ़ना क्यों है। और यह सब पढ़कर बनना क्या है। बस यही रहा, कि किसी तरह पाठ्यक्रम समझो,परिक्षा उत्तरिीण करो। और अगली कक्षा में प्रवेश कर जाओ।  इतना  space  ही नहीं मिला की इससे बहार जाकर भी कुछ सोचा जा सके। एक assets की तरह खुद को तैयार करना था। जो नौकरी लग सके ,और कमा सकें।

             उस बच्चे का अपना talent क्याहै उसका शोाक क्या है। वो जिंदगी मै क्या करना चाहता है यह कभी उस बच्चे से ना तो किसी teacher ने पुछा,ना किसी  parents ने ,और न उसने खुद अपने आप से ,बस किसी तरह नौकरी लगे और पैसा कमाना शुरू कर दे , इससे बहार का thought process ना तो वो बच्चा कभी सोच पाया ,और ना वो माँ -बाप और ना  teacher जो चाहते तो बच्चे का भला ही  थे। पर शायद कर नहीं पाये। 

                                                                    क्योकि यदि वो बच्चा , वो करता, जो वो करना चाहता था । तो शायद वो ज्यादा अच्छी तरह से कर पाता । ज्यादा लगन से कर पाता। और शायद इससे भी कई ज्यादा उचाईयो को छु पाता 

       मेरा आज हर माता -पिता से यह हाथ जोड कर निवेदन है। की बच्चों को वो बनने दे जो वो बनना चाहते है अपनी फालतु की अपेक्षाएं उस बच्चे पर मत थोपिये। अगर वो सच में कोई skill talented है तो उसे वो करने दीजिये। 

       अपने बच्चे को education दीजिये पर एक अच्छा इंसान बनने के लिए। ताकि वो बच्चा बड़े होकर कोई गलत काम ना करे। उसमे शिक्षा के द्वारा इतनी समझ उत्पन्न हो कि वो सही और गलत का फर्क समझ सके। 


        हमारी शिक्षा प्राणली को इतना लचीला होना पढ़ेगा कि वो हुनर की कदर कर सके। वो बच्चे को वो बनने में मदद कर सके जो वो बनना चाहता है। फिर चाहे वो musician हो। dancer हो writer हो या teacher या कुछ भी। ताकि वो बच्चा समय रहते अपनी प्रतिभा पहचान सके और  उसे विकसित कर सके। और उसी के बल -बुते अपनी रोजी रोटी कमा सके।इससे वो बच्चा भी खुश रहेगा। और देश विकास कर सकेगा। 

            हमारे system को यह जिम्मेदारी हर हाल में लेनी होगी। कि  वो बच्चे को वो बनने में मदद करे जो वो बच्चा बनना चाहता हो। उसके अपने अस्तित्व और पहचान की कदर हो। 

    हम सब को मिलकर शिक्षा कि दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होगे। जिससे जब कोई बच्चा अपनी scholing कर के निकले तो  ,वो एक काबिल इंसान हो,   उसे मालूम हो कि उसे अपनी आगे कि जिंदगी कैसे काटनी है। ना  की एक ऐसा व्यक्ति जो इतना असमंजस में हो ,की यदि उसे कही admission न मिले तो वो कोई गलत कदम उठा ले। कही admission मिले, चाहे ना मिले, वो अपनी क़ाबलियत के बल पर कुछ कर सके। 


              शिक्षा के स्वरुप को एक सीमित दायरे से बहार निकालकर एक व्यापक जिम्मेदारी लेनी होगी। तभी इस देश और समाज का कल्याण होगा। और भारत सच में उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा। इसी उम्मीद के साथ। 

                  

                                           जय हिन्द 

                                                                   जय भारत 

 

                                         












































































बुधवार, 19 अगस्त 2015

SOACH BADLIYE , BHARAT BADLIYE

Hello friends आज फिर में अपना एक और blog लिखने जा रही हुँ। जो विवाह से संबधित है। आज मैने अपने साथियो द्वारा एक बात सुनी। एक युवक और युवती को घर से भागकर विवाह करना पड़ा। क्योकि उनका समाज उन्हें यह इजाजत नहीं देता था ,की  वो एक गाँव  के है। और शादी करे। 

                 आप भी आए दिन।, ऐसी खबरे खुब सुनते होंगे। कभी किसी विशेष धर्म के कारण ,या किसी विशेष जाति के कारण विवाह होना सम्भव नहीं होता। जिसके कारण युवक और युवती घर से भाग कर शादी करते  है। 

            परन्तु हद तो तब हो जाती है। जब बच्चों के parents ही बच्चों का साथ ,देने के बजाय उनके खिलाफ हो जाते है। और यह कह देते है। तुम्ने हमारी नाक कटवा दी है। यदि तुम हमे कही दिखे तो हम तुम्हे गोली मरवा देंगे। और सच में कई लोग तो मरवा भी देते है। आपने  सुना होगा तमाम news channelo पर। 

         मुझे समझ में नहीं आता आखिर, ऐसा कोन सा गुनाह या पाप किया है। इन लोगो ने जिसके लिए आप इन्हे गोली से मरवा देंगे। आपको किसने हक़ दिया है। किसी की जान लेने का ,सिर्फ अपनी मर्जी से अपनी ,शादी ही तो कर रहे है। भागने पर तो इन्हें मज़बूर किया आपने   ,यदि आप अपनी मर्जी से विवाह करा देते ,तो क्यों भागते बेचारे। 

         और देखिये ,जो लोग इस बात का समर्थन कर रहे थे। कि इन्हे गोली से मरवा दिया जानी चाहिए। वो किसी पुरानी पीढ़ी के लोग नहीं थे। कि जिनकी सोच को बदला ना जा सके। कुछ मेरे जैसे ही युवा साथी थे जो इस बात का समर्थन कर रहे थे। और जब मैने उन्हें कुछ समझाने की कोशिश करी तो। किसी तरह उन लोगो नै मुझे ही गलत ठहरा दिया। 

         आप बताइए ,क्या किसी लड़के या लड़की को ,शादी जैसे पवित्र बंधन में बंधने के लिए ,यह आवश्यक नहीं है की वर और  वधु उसकी पसंद से हो। आखिर पुरी जिंदगी उन्होंने ,उस इंसान के साथ गुजारनी है कैसे जिंदगी गुजारेंगे यदि वो रिश्ता ,उनकी पसंद से  नहीं है तो ?

              हम सब प्रेम से परिपूर्ण picture ओ  को तो बड़ा enjoy करते है। पर उस सोच को कब अपनाएंगे जब हम हर एक युवक और युवती को हक़ देंगे की  वो अपनी मर्जी से विवाह कर सके।

     आखिर क्यों हमे ऐसी खबरे सुने को मिलती है। की कोई युवक और युवती यदि अपनी मर्जी से विवाह करता है चाहे किसी और religion से  हो, या किसी विशेष समाज के अन्दर ,आखिर क्यों उन्हें ऐसी धमकी दी जाती है खाप पंचायतो द्वारा की हम तुम्हे गोली मरवा देंगे। तुमने बहुत गलत काम किया है हमारी इज्जत ताक पर रख दी  है। आखिर क्या है यह सब ?आखिर ऐसा कौन सा गुनाह किया है जिसके लिए उन्हें गोली मार दी जाये। ? क्या किसी का बलात्कार किया है ?या  किसी का मर्डर किया है?जिसके लिए उन्हें  गोली मार दी जाये ?सिर्फ की है अपनी मर्जी से शादी ,अपना life partner ही तो खुद चुना है जिसके साथ उन्हें जिंदगी बितानी है आखिर क्या है यह सब?कब हम सब कब ,  इस छोटी सोच से बहार निकलेंगे। 

         हम सब की भलाई इसी में है ,कि हम सब अपने  बच्चो को ये हक़ दे की वो अपनी जिन्दगी के फैसले  खुद ले।यदि उसमे वह नाकामयाब हो भी गए, तो जिंदगी भर आपको नहीं कोसेंगे। की  आपने मेरी शादी इससे कराई ,और मेरी जिन्दगी  खराब कर दी। और इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है, जो रिश्ता आप चुने वह सही ही हो ,और वो जिंदगी भर उस रिश्ते में सुखी ही रहेंगे। बल्कि वो रिश्ता तो झेलना उनके लिए एक मजबूरी  है जिसमे आपने  उन्हें जबरदस्ती बांध दिया है  आप बच्ये के माँ -बाप है उसकी ख़ुशी चाहते है तो उसे ,उस रास्ते को चुनने में मदद कीजये जिसमे वह खुश रह सके और आप भी। माँ बाप की तो ख़ुशी ही बच्चो की ख़ुशी में होती है।  नहीं तो,आपका बेटा या बेटी जिन्दगी भर आपको भी ,कोसेंगे। और उस इंसान को भी जिससे आपने उसकी जबरन शादी करा दी है। सोचो आखिर उस लड़का या लड़की का कसूर क्या है ? जिस रिश्ते में आपने उसे जबरदस्ती बाँधा है 

      एक साथ दो -तीन जिन्दगिया बरबाद कर देंगे। और फिर रोते रहेंगे,कि मेरे बच्चे पहले जैसे नहीं रहे. 

  अब हम 21 वी शताब्दी में जी रहे है। कम से कम अपने पूर्वजो से ही ,कुछ सीख ले। जिन्होंने उस समय पर भी माता सीता को वर चुनने की स्वंत्रता दी थी। 

       यह दुःख तब और बढ़ जाता है। जब कोई युवा लड़का या लड़की इस तरह कि बात करते है। कि उस प्रेमी जोड़ी को गोली मार देनी चाहिए। आप तो युवा सोच हो। आपको दुनिया की सोच बदलनी है। अगर आप ऐसा सोचेंगे ,तो कौन इस सोच को बदलेगा। 

please इस छोटी सोचो से बहार निकले। 

                 आगे आइए  सोच बदलिये ,भारत बदलिये 

        

गुरुवार, 13 अगस्त 2015

EK KHAT HINDU MUSLMAAN EKTA KE NAAM

haii friends में आज फिर अपना एक ब्लॉग लिखने जा रही हुँ ,जो हिन्दू मुसलमान एकता के बारे में है मुझे समझ में नहीं आता क्यों लड़ते रहते है हम? आपस में, वो भी ऐसी छोटी- छोटी बातो के लिए जिसका  कोई वजूद नहीं है। मुझे बहुत दुःख होता है जब कोई हिन्दू भाई, मुसलमानो की बुराई करता है। क्यों करता है मेरी समझ से परे है मेरी आत्मा पेरशान हो उठती है जब कोई कहता है मुसलमानो को पाकिस्तान भेज देना चाहिए। क्यों भी ?उनका भी इस मुल्क पर उतना ही हक़ है जितना की हमारा, हमारे देश पर। 

      हमारा देश एक धर्म निरपेक्ष देश है। उस देश में आखिर ऐसी प्रतिक्रिया ही क्यों ?क्यों हम हर धर्म के लोगो को स्वीकार नहीं कर पाते। 

          एकता में अनेकता ,और अनेकता में एकता ,यही तो हमारी U.S.P है कब हम समझेंगे के जिस देश पर जितना हक़ हमारा है उतना ही हक़ हर धर्म के शख्स का है कोई भी शख्स पहले भारत वासी है बाद में कुछ और।  

             बहुत कुछ दिया है मुसलमानो ने इस देश को ,तीन महान Actor आज के दौर के ,जिनकी शायद ही कोई Picture flop होती हो। सलमानखान ,शाहरुख खान, और आमिर खान।  मुझे  समझ में नहीं आता क्या इन लोगो की picture सिर्फ मुसलमान भाई देखने जाते है ?नहीं ना, हर वो शख्स इनकी picture देखने जाता है जो इनके Talent से और इनकी मेहनत से प्यार करता है फिर क्यों कुछ लोग लड़तै है और कहा यह सोच पनपती है की किसी के खान होने से उसके साथ भेदभाव किया जायेगा। 

              मैने एक बहुत  अच्छी line पढ़ी थी। की हिन्दू मुस्लिम भाई -भाई  ,पर हम कहते तो है पर मानते नहीं है ,  मानते होते तो कहते नहीं ,क्या अपने भाई को हमें रोज यह कहने की जरुरत महसूस होती है की तू मेरा भाई है नहीं  ना , वो universal truth है की वो मेरा भाई है। कहने के क्या जरुरत है। 

            उसी तरह हिन्दू और मुस्लिम अलग है ही नहीं, एक ही अल्लाह और भगवान के बनाए  हुए इंसान है जिसे इस धरती पर रहने का पूरा हक़ है। अलग़ है ही नहीं तो फिर भेद -भाव क्यों ?

                 मुझे फिर एक line याद आती है ना तू हिन्दू बनेगा ,ना तू मुसलमान बनेगा ,इंसान की ओलाद है इंसान बनेगा। 

             पहले इंसान बन जाओ ,फिर यह सारी  दूरिया अपने आप मिट जायेंगी।  आपस में अपने आप इतना प्यार बढ़ जायेगा। की, फिर मुस्लमान को यह कहने की नौबत नहीं आएगी कि ,मेरे नाम में खान है इसलिए मेरे साथ दुर्व्यवहार किया जाता है ,और जहाँ चार हिन्दू बैठते है वहाँ मुसलमानो की बुराइया करते है। 

   और में अपने मुसलमान भाइयो से भी एक बात निवेदन करना चाहूंगी। सिर्फ चंद लोग जो सियासी रोटिया सकते है। या कुछ संकुचित सोच वाले व्यक्ति को छोड़कर ,पूरा हिन्दू समाज आपसे उतनी ही मोहबत करता  है। की जितनी की आप 

                 अगर ऐसा न होता तो , तमाम ऐसे लोग जिन्होंने नाम कमाया है चाहे वो हमारे पूर्व राष्ट्रपति A.P . J अब्दुल कलाम हो ,या शारुख खान हो , हमारी मोहबत भी, इन लोगो के साथ उतनी ही है जितनी की आप कि, हम सब भी उतना ही प्यार ,करते है जितना की आप। 

                     एकता में शक्ति है ,एकता में संग़ठन है और इस एकता के बल बूते भारत को नयी उचाईयो पर लेकर जाइये। जो आप लोगो के बिना संभव ना हो सकेगा। हम जब साथ है तो भारत ,भारत है। 

                                        जय हिन्द 

                                                              जय भारत 

मंगलवार, 11 अगस्त 2015

SUNDAR SE KAVITA

Haii friends आज के blog में एक छोटी सी,सुन्दर सी  कविता ,उम्मीद है इसे भी आप तेह दिल से पसंद करेंगे। कविता का शिर्षक है सुन्दर सी कविता। 

                 

            मुझ पर तो किसी और कि खुमारी चढ़ी रहती है ,में क्या लिखूंगी कविता 

           लिखना भी चाहूंगी ,तो लिख नहीं पाऊँगी ,क्योकि मुझे तुम्हारी याद से ही फुरसत कहा ,

               कुछ देर तुम्हे भुलु तो ?,कुछ लिख भी पाउ , पर ऐसा होता नहीं, कुछ देर ,तुम्हे भुलु 

                      और लिख सकु में कविता , 

           अब बताओ ,क्या इलाज़ है इस मर्ज़ का ,जो तुम्हे भुला जाऊ में कुछ देर ,

           और लिख पाऊ एक सुन्दर से कविता ,एक सुन्दर सी कविता। 

शनिवार, 1 अगस्त 2015

SAHI DISHA

Hai  friends आज फिर मै कोशिश कर रही हुँ।  दिल से कुछ लिखने  की। और यह सोच रही हुँ कि आखिर मैंने लिखना क्यों शरू किया , ना तो मैं  ,बहुत अच्छी कवि, और ना ही कोई साहित्यकार, काफी सोचने के बाद मुझे यह समझ में आया, शायद इसलिए , कि जो कुछ भी मैने इस समाज से लिया, और सीखा ,अगर उसका धूल भर भी , में शायद अपने लेखन के जरिये लौटा सकु तो शायद इसे  अच्छी किस्मत नहीं होगी मेरी। 

                             हम ज़िन्दगी भर यही चाहते है बस हमें मिलता रहे। देना ना पड़े। कितनी बार हम सच में बैठकर यह सोचते है कि जिस समाज से और जिस ईश्वर ने हमें हमारी जरुरतो से भी ज्यादा हमें  दिया। उसे वापिस क्या दिया हमने, सिर्फ ज़िन्दगी  भर शिकायत। 

                       दोस्तों इस शिकायत को पीछे छोड़ हमें  देखना होगा जो हमें जो मिला वो किसी से कम नहीं, और हम फिर भी शिकायत करते रहे। आप देखिये  आपने जन्म  लिया, भगवान  ने दो हाथ दिए कर्म करने के लिए ,दो आँखे दी इस जहाँ को देखने के लिये, एक प्यारा सा दिल दिया मोहबत करने के लिए , बुद्धि दी सही और गलत को समझने के लिए,और भी शायद इतना कुछ ,की लिखने लगी तो शब्दों में वर्णन करना मुश्किल हो जायेगा। इतनी रहमत दी उसने और हम शिकायत करते रहे। माँ बाप दिए घर- बार दिया। और इसमें से यदि किसी को कुछ कम मिला भी तो ,उसे किसी और रूप में, ईश्वर ने अधिक शक्ति और प्रेरणा दी। और उसकी कृपा बरसती रही। 

                       आप खुद सोचिये यदि किसी बच्चे के माँ बाप  अपनी तरफ से हर संभव wish बच्चे की पुरी करे  जो वो कर सकते हो। और वो बच्चा सिर्फ शिकायत ही करता रहे तो माँ बाप को कैसा लगेगा। उसी तरह हम सब उस ईश्वर की संतान है जिससे हम सिर्फ शिकायत ही करते है अपनों को दुसरो से compare करके।  कभी उसका धन्यवाद नहीं देते।                                                                                  

                       हमारी हर जरुरत से ज्यादा दिया उस प्रभु ने, फिर भी हम शिकायत करते रहे। कि प्रभु आपने हमें यह नहीं दिया, और वो नहीं दिया। यह सिर्फ एक देखने का नजरिया है जिस दिन आपने यह देखना शरू कर दिया ,की आपको प्रभु ने क्या दिया ,बजाय यह देखने कि क्या नहीं दिया ,उस दिन यह शिकायते अपने आप खत्म हो जायेंगी। और आप निस्वार्थ भाव से समाज सेवा कि तरफ अपने आप को समर्पित करते चले जायेंगे बस कुछ नजरो का फर्क है जिसे सही दिशा में रखना जरूरी है 

                                                          धन्यवाद 

      

शनिवार, 11 जुलाई 2015

THE SECRET

Haii friends कैसे हो सब ,आज फिर आप सब से कुछ बात -चीत करना चाहा  रही हुँ। आज delhi में सावन की पहली बारिश हुई। जो काफी ज्यादा मात्रा में हुई। और लग भग पुरा दिन रही, यह बारिश ,इस खुशनुमा मौसम का  को कौन इंसान होगा जो आनंद नहीं उठाना चाहेगा ? हर कोई गर्मी की तपिश के बाद ,सावन का आनंद उठाना चाहता है। और दिल  से enjoy करना  चाहता है और करना भी चाहिए। मैंने कई लोगो से personaly यह बात कही भी ,की बारिश की वजह से चाहे कोई दिक्कत हो जाए , बादल बरसने  चाहिए ,सावन आना चाहिए।, और उसे enjoy भी करना चाहिए। 

                             पर यह सिक्के का एक पहलु है। और दूसरा सच यह है की बारिश के आते ही बहुत सारी मुसीबते जो हमारे द्वारा generate की हुई है या हमारे system की खामियों की वजह से जगह -जगह जल भराव और traffic jam जैसी मुसीबतो से दो चार होना पड़ता हैं पर यह सब मैं आपको क्यों बता रही हुँ। वो इसलिए friends क्योकि शाम को wats aap group मैं किसी शख्स नै  msg किया की delhi मैं , कही कोई traffic jam और water logging जैसी समस्या नहीं है  तो ,मैंने  simply reply कर दिया की यह सच नहीं है delhi की तमाम सड़को पर जहां आज मैं घुमी वहाँ  काफी दिक्कत थी और काफी लोगो को इस समस्या का सामना करना  पड़ा.  

                     अब आप जानते है क्या हुआ होगा। उस शख्स की ego Heart हुई और 10 minute तक msg का आदान प्रदान चलता रहा की delhi मे water logging और ट्रैफिक jam जैसी समस्या थी, की नहीं। और 10 minute की वार्तालाप के बाद उस शख्स नै एक आश्चर्य जनक बात कही। और वो इंसान मुझे बात करने में शिक्षत लग रहा था। उसने कहा की The secret apply किया करो, कही कोई दिक्कत नहीं होगी। अब यह The secret क्या है एक डेढ़ घंटे की movie जिसमे यह दर्शाया गया है। की यदि आप सब कुछ अच्छा सोचो गए, तो आप के   साथ सब कुछ अच्छा होगा। 

               अब आप बताइये, क्या मै सड़क पर यह सोच कर निकली थी  की मुझे traffic jam और water logging मिले। वो एक सड़क पर दिक्कत थी जिस का मुझे सामना करना पड़ा 

                      अब आप बताइये की इसमें The Secret कैसे apply करू मैं। इस शख्स को सड़क पर कोई दिक्कत नहीं हुई। यह अच्छी बात है पर मेरी समझ से यह बात परे है की इसने The Secret apply करा इसलिए इन्हे उन समस्याओ  से इसे  दो चार नहीं होना पड़ा ,जिन समास्यो को मैंने झेला। हो सकता है जहाँ यह गये हो वहाँ कोई समस्या ना हो।  

                    पर यदि समस्या है तो solution निकालो यह क्या ,की The secret apply करो और हद तो तब हो  गयी ,जब वो शख्स इस बात पर अड़ गया की यह scientifically approval है  यह बात किसी पण्डित ने नहीं कही , यह exact शब्द थे उस इंसान के , आप इसे जरूर देखे और apply करे। अपने अंध विश्वास को विश्वास का नाम दे दिया ,उप्पर से उसे scientific करार दे दिया। 

                                  मैं मानती हु की The law of attraction और Positive Thinking जैसी चीजे काम करती है पर जैसे उस शख्स ने कहा वैसे नहीं। यह चीजे आपको होसला देती हैं। ज़िन्दगी में हर situation में आगे बढ़ने के लिए। और इसमें कहा भी गया है। you will never ever attract what you want ,you will always attract what you are आपको मिलेगा  वही जो सच है,या जिसके आप काबिल हो , वो नहीं मिलेगा जो आप सोच रहे हो। समस्याए है तो उसका हल निकालो ,यह क्या की The secret apply करो। 

                                समस्या है तो उन्हें सुलझाने की तरफ प्रयासरत होना पड़ेगा। कर्म करना पढ़ेगा , ना की कोई Secret apply करना पड़ेगा।  हो सकता है जो मैं सोच रही हुँ वो गलत भी  हो, पर आप सब मुझे  reply कर के यह जरूर  बताये ,इस blog को पढने के बाद, की  क्या यह सम्भव है ,की आप सब  कुछ अच्छा अच्छा सोचे और आपके साथ सब अच्छा  अच्छा हो। ? आप positive रहने के लिए यह जरूर कहे सकते है की जो होता है अच्छे के लिए होता है या उस aspect की positive sight देख सकते हो। आपने नजरिये को बदल सकते हो।  पर यह कब सच हो गया की आप कुछ गलत सोचो नहीं ,और आप के  साथ कुछ गलत होगा नहीं।,क्योकि आपके thoughts आपके control मैं कहाँ होते है व  तो बस आ जाते है  होगा वही जो सच है। 

                  सुख दुःख , धुप छाव ,ख़ुशी  गम यह सब जिंदगी का अहम हिस्सा है। इन चीजो से आप मुँहू नहीं मोड  सकते है और शायद secret apply कर के भी नहीं , आप इन समस्यो से नहीं बच सकते।

                                     अगर समस्या है तो उसे सुलझाना होगा।यह सच नहीं है की आपने The secret apply किया तो आपको कोई परेशानी नहीं हुई और मैंने नहीं apply किया तो इसीलिए मुझे समस्याओ को झेलना पड़ा.

                                                       Thanku 

                                                                         friends 

             Reply कर कर जरूर बतायेगा की मैं सही हुँ या गलत। 

शनिवार, 4 जुलाई 2015

Corruption free INDIA

Haii friends, आज में फिर अपना एक ब्लॉग लिखने जा रही हुँ । जो है भ्रष्टाचार के उप्पर। क्यों हमारे देश में भ्रष्टाचार इतना बड़ा मुद्दा बन गया है? जिसके लिए अन्ना आंदोलन होता है। उस आंदोलन में एक बुजर्ग इंसान को इतने दिन तक भुखा रहना पड़ता है। फिर उसके बाद, इसी मुद्दे पर एक नई राजनैतिक पार्टी का निर्माण होता है। और वो इसी मुद्दे पर चुनाव जीत भी जाती है। आखिर कब हम सब इतने भ्रष्ट हो गए, की किसी व्यकति को इसके लिए आंदोलन करना पडा ? कब हमारे अंदर भ्रष्टाचार इस हद तक चला गया की हमे महसूस ही नहीं होता की हम भ्रष्ट हो गए है।  ?                                                                                                                                 यह तमाम सवाल है। जो मुझे परेशान करते है। हम ,क्यों नहीं समझ पा रहे है की भ्रष्टाचार  एक दीमक के सामान है जो लकड़ को इस हद तक खोखला कर देगा जिससे बहार आना मुश्किल हो जायेगा। पर कुछ भी हो यदि इस मुद्दे पर कोई राजनैतिक पार्टी  चुनाव  जीतती है। तो इसका मतलब साफ़ है की हम भ्रष्टाचार मुक्त भारत चाहते तो है पर कैसे होगा इस भ्रष्टाचार मुक्त भारत का निर्माण।                                                                                              जब तक पैसा खिलाओ नहीं तब तक कोई काम होता नहीं। और इस पैसे के बल पर आप कोई भी काम करा  लो सही भी गलत भी। पैसा उप्पर से निचे  इतनी जगह जाता है की कोई इसके खिलाफ बोलने तक को राजी नहीं। पर में इन सब से ज्यादा यह सोचती हुँ कि हमारे अंदर की इंसानियत मर गयी है क्या ? क्या हम नहीं जानते जिन लोगो से हम पैसा वसूलते है। वो लोग  गरीब लोग है। जो दिन रात मेहनत कर, कर अपनी दो वक्त की रोटी का इंतज़ाम करते है।  और हम उन्ही लोगो से पैसे वसूलने के लिए अपने पद का दुरुपयोग करते है। 

           शर्म नहीं आती हमे, जिन लोगो की दिन रात की मेहनत की वजह से सरकार हमे तनखा दे पाती है। उन्ही लोगो का काम करने के लिए हम उन्से पैसा वसूलते है। जिस पद का उपयोग हमे समाज सेवा के लिए करना चाहिए उसी पद का उपयोग हम भ्रष्टाचार करने के लिए करते है। और मेरी नजर में तो कोई समाज सेवा भी नहीं कर रहे आप ,एक काम कर रहे है। जिसके लिए सरकार आपको तनखा देती है। और इसके बावजूद यदि आप पैसा वसूलते है तो यह कहा तक सही है।

           हमने अपनी आत्मा का सतर क्यों इतना निचे गिरा दिया है। की हमे सही और गलत का फर्क ही नहीं महसूस होता।  हमे यह दिखाई नहीं देता की जिस पैसे का उपयोग हम अपने लालच के लिए कर रहे है वास्तव में उस पर किसी और का हक़ है  जितना मर्जी गलत ढंग से धन संचय कर लो कोई संतुष्टि नहीं मिलने  वाली ,उल्टा हालत ख़राब ही होंगे। गलत ढंग से कमाया  गया धन न तो सुकून  देगा और  ना इज़्ज़त। यह तो बस आपको कुछ दिन एक झूठी शोहरत देगा और ऐसे धन का उपयोग आपफे बच्चे सिर्फ गलत काम के लिए करेंगे। और वो बिगड़ जायेंगे। और फिर आप एक दिन पछताँगे की मैंने यह गलत काम क्यों किया। पर शायद तब तक बहुत देर हो चुकी होगी। एक कहावत है  ना ; अब पछतावत क्या होत जब  चिड़िया चुग गयी खैत ;  इसलिए समय रहते संभल जाइये। 

       लालच का कोई अंत नहीं है। आज जितना आपके पास है कल आपका लालच और बढ़ेगा और उसके बाद और ,और एक दिन आप अपने आप को एक ऐसे दल -दल में फास्ते चले जायेंगे। जिसे तब बहार निकलना सम्भव ना हो। पर अभी संभव है जब जागो तब सवेरा। 

         SO Please आप लोगो से मेरी हाथ जोड़कर प्राथना है अपनी अंतर आत्मा की आवाज सुने और रिश्वत लेना बंद करे। और जो लोग रिश्वत देते है उन्से भी मेरी हाथ जोड़कर प्राथना है। कि हर सम्भव कोशिश करे अपना काम बिना रिश्वत दिए करा ने का।

               हमारी ईमानदारी हमारी पहचान है जो दूर तक ले जायगी हमे ,लालच को छोड़ एक भ्रष्टाचार मुक्त भारत बनाइये। जिस पर आप और हम गर्व कर सके जिसके शुरआत होती है। आपसे और मुझसे। हम सब अपनी अपनी गारंटी तो  ले सकते है न , ना रिश्वत लेंगे न रिश्वत देंगे।  आज हमे अपने आप से एक Promise करना होगा की हम किसी भी पद पर पहुंच जाये रिश्वत ना लेंगे ना देंगे। अपना  उत्तरदायित्व सम्पूर्ण जिम्मेदारी से निभांगे।           

           तब हमे और हमारे जैसे किसी व्यक्ति  को इतने दिन तक भूखड़ताल नहीं करनी पड़ेगी। और जो लोग भ्रष्टाचार करते है। वो लोग एक दिन बिना खाना खाए रेह्कर देखे। कितना पीड़ादायक है यह सब। अपने बच्चो को एक बेहतर कल देकर जाइए , भ्रष्टाचार मुक्त भारत  देकर जाइये। 

                                                          जय हिन्द

                                                                             जय भारत  

                                                                                              

                                                                                             

बुधवार, 24 जून 2015

HUM KABH SUDHARNGE

Haii friends आज में फिर अपना एक नया blog लिखने जा रही हु। आप लोग इस blog को भी तहे दिल से पसंद करेंगे। जैसा कि आप लोग जानते है कि मेरे blog सामाजिक मुद्दो से प्रेरित होते है उसी तरह आज का blog भी एक सामाजिक मुद्दा है। 

                         हम सब मिलकर व्यवस्था को बहुत कोसते है न ?यह सही नहीं है। वो सही नहीं है यह गलत हो रहा है वो गलत हो रहा है गलत के खिलाफ आवाज उठाओ।जरुरी है क्यों  हम और आप डर जा ते है और गलत के खिलाफ आवाज नहीं उठाते, जो करना चाहते है वही नहीं करते। 

             मैंने कही पर सुना था। कि जुर्म करने से बड़ा अपराधी जुर्म सहने वाला होता है। और यह सच है जब तक आप जुर्म सहोगे,तब तक करने वाले कि हिम्मत भी बढ़ेगी ना, फिर आप कोसते रहो अपने भाग्य को। की मेरे साथ यह गलत हुआ।वो गलत हुआ। जब आवाज उठाने का वक्त था।तब तो बोले नहीं। 

                   इसके साथ साथ एक और  महत्वपूर्ण बात अन्याय के खिलाफ आवाज उठाओ खुलकर उठाओ पर अपने आप को सुधारकर उठाओ। दूसरे पर उंगली करने से पहले हमें ध्यान रखना होगा उसी हाथ की चार ऊँगली हमारी अपनी तरफ है।

                         सवासो करोड़ देश वासियो का देश भारत ,और हम सब मिलकर व्यवस्था को कोसते रहते है क्यों नहीं आप और हम दिन रात  मिलकर उस व्यवस्था को ठीक करते जिसका आप और हम हिस्सा है मिलकर ठीक करो उस व्यवस्था को, जिसे दिन रात कोसते हो। और यह काम आप तब तक नहीं कर सकते जब तक आप और हम खुद सुधर नहीं जाते। 

                     आप क्या भ्र्ष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाएंगे यदि आप खुद भ्रष्ट है तो ? आप क्या नारी सम्मान कि बात करेंगे ? यदि आप खुद ही नारी का सम्मान नहीं करते।आप क्या अपने बच्चों को ईमानदारी का पाठ पढ़ाएंगे।यदि आप खुद बईमान है तो। पहले खुद, अपने आप को सुधारना होगा।

                मुझे मालूम है कहेंगे की मैरे अकेले सुधरने से क्या होता है बहुत अच्छा एक्सक्यूज़ है वां , जिंदगी भर ऐसे ही एक्सक्यूज़ देते रहिये और जिंदगी भर उस व्यवस्था को कोसते रहिये जिसका आप और हम हिस्सा है। या फिर कहेंगे की मेरे ऊपर वाला खाता है तो में क्यों ना खाऊ। आईए सब मिलकर एक साथ खाते है और देश को फिर गुलामी की जंजीरो में बांधते है। क्या कारणः  है देश के 68 वर्ष बीत जाने पर भी हम भ्रष्टाचार ,दहेजप्रथा नारी सम्मान जैसे मुद्दो पर संघर्ष कर रहे है जहाँ हमें विकास की बात करनी चाहिए। और  हम अभी तक यही लटके हुए है।                                                                                                                                                           क्योकी हम और आप यह सोचते है की जिस दिन और लोग सुधरेंगे उस दिन हम सुधर जायेंगे। हम यह नहीं सोच पाते जिस दिन मै सुधर गये । उस दिन यह व्यवस्था अपने आप सुधरती  चली जायगी।  व्यवस्था हमसे बनती है हम व्यवस्था से नहीं। और जिस दिन आप और हम सुधर गए उस दिन यह व्यवस्था भी सुधर जायगी और हमारे हालत भी। हम सब अपनी अपनी गारंटी तो ले सकते है ना,की हम कोई गलत काम नहीं करेंगे।और यह तब संभव है जब आप और हम मिलकर देश के सवा सौ देश वासी देश के लिए काम करे। 

                 दोस्तों  हम सब मिलकर जो हमारे देश का नारा है मेरा भारत महान उसको सच में सार्थक बनाये ताकि आज से दस साल बाद जब हमारे आने वाली पीढ़ी आये तो वह फक्र से कह सके मेरा भारत महान ना की मेरा भारत महान कहकर भारत की किसी कमजोरी की तरफ इशारा करे।

                                                   जय हिन्द                                                                                                                                                                       जय भारत