सोमवार, 5 अक्तूबर 2015

DHARM BHARAT AASTHA OR ANDHVISHWAS

Ha ii friends आज फिर में अपना एक blog लिखने जा रही हुँ। और इसे लिखने से पहले काफी परेशान हुँ। दो तरह के लोग है। इस देश  में ,एक वो जो भगवान को मानते है। और दूसरे  वो, जो भगवान को नहीं मानते। में इस बहस में बिलकुल नहीं पड़ना चाहती कौन सही है और कौन  गलत। सबकी अपनी आस्था है। विचार है। और जिस दिन ना मानने वालो को लगेगा, भगवान है। ,तो वो मान लेंगे। और जिस दिन मानने वालो को लगेगा कि ,भगवान नहीं है , तो वो मानना छोड़ देंगे । यह समझ समय समय  पर बदलती रहगी।  क्योकि  इन सभी ने भगवान को माना है। जाना तो है। नहीं, और  जिस दिन जान लेंगे उस दिन मानना छोड़ देंगे।  क्योंकि जब हम किसी चीज को जान लेते है। तो उस चीज को मानना  छोड़ देते है। जैसे आग जला देगी ,यह आप जानते है। या मानते है ?आप जानते है के आग में जायेंगे तो जलेंगे , यह आप मानते नहीं है  तो अभी बहुत कुछ जानना बाकि है।  उस परमेश्वर के बारे में,और जिस दिन जान जायेंगे, उस दिन सभी सांप्रदायिक झगड़ो  से मुक्त भारत का निर्माण करेंगे।

          ख़ैर मेरा  प्रश्न उन लोगो से है।  जो ईश्वर भगवान, अल्लाह किसी को भी मानते है जब आप मानते है भगवान है तो क्यों इस देश में भगवान और धर्म के नाम पर झगड़े होते है। ?कौन सा भगवान हमे झगड़ा करना सिखाता है ?हिन्दू का, मुसलमान का, सिख का ,इसाई का ?कौन  सा धर्म सिखाता है। आपस में झगड़े करो?  हिंसा फैलाओ मुझे यह बता दीजिये। भगवान को मानने वालो।

        भगवान तो शांति और प्रेम का प्रतीक है न ,

          दूसरा प्रश्न भी मेरा इन्ही लोगो से है क्यों अपनी आस्था को अंधविश्वास में तब्दील करते  जा रहे है।? क्यों उम्मीद रखते है कि कोई चमत्कार होगा और सब ठीक हो जायेगा। राहत भाई का एक शेर है ना किसी राहबर ना किसी रहगुजर  से निकलेगा अपने पाँव का काँटा है ,हमी से निकलेगा।

          21 वी शताब्दी के भारत में भी तमाम news channel पर ऐसी ख़बरे देखने को मिल जाती है। जिसमे अन्धविश्वास की हद होती है और  सर शर्म से झुक जाता है।

             आज ही की एक खबर में 14 साल की नाबालिक लड़की को जल समाधि इसलिए लेनी है क्योंकि वो अपने आपको एक दैवीय अवतार समझती है। और जब प्रशासन वहाँ पहुँचता है। तो गाँव के निवासी विरोध करते है। अगर इसने जल समाधि नहीं ली तो गाँव पर संकट आ जायेगा।

                अंधविश्वास की भी चरम सीमा है। ,यह सब

            ऐसी ही एक और खबर ,जिसमे एक मुस्लिम परिवार के पिता और बेटे को इस हद तक मारा जाता है की पिता दम तोड देता है। और बेटा तीन दिन से अस्पताल में भर्ती है। सिर्फ इसलिए, क्योंकि सिर्फ एक अफ़वाह थी ,उस घर में गाय का मास  है  सिर्फ इस बात से भीड़ को भड़काया जाता है। और बिना बात एक निर्दोष इंसान को मृत्यु की गोद में सुला दिया जाता है।

      कितना आसान है। ना, इस देश में कभी भी कही भी झगडे करा देना। क्योंकि हम लोग भड़कते इसलिए तमाम लोग इसका फायदा उठाते है। कैफ़े आज़मी का एक शेर है

        जब हाथों से उम्मीदों को शीशा छूट जाता है

पल भर में ही , ख्वाबो से पीछा छूट जाता है।

     कुछ देर यदि हम और आप लड़ना भूल ,जाते है

     तो सियासी सूरमाओं का पसीना छूट जाता है

धर्म के नाम पर सांप्रदायिक झगड़े करवा ये जाते है। हिन्दू ,मुसलमान बनाकर घृणा फैलाई जाती है और सियासी रोटियाँ से की जाती है। और हम लोग सेक ने देते है। बहिष्कार नहीं करते ऐसे लोगो का जो हिन्दू मुसलमान के नाम पर झगड़े कराते है।

         कहाँ जा रहे है।  हम ,यह रूक कर हमे सोचना पड़ेगा। पहले इन्सान बन जाइए उसके बाद हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई या किसी भी धर्म के बन जाना हर धर्म मानवता की नीव पर फला फूला और बढ़ा हुआ और हम मानवता और इंसानियत को भूलकर सब कुछ सिख गए।

       अंधविश्वासने भी हद कर रखी है इस देश में ,हर चीज में अंधविश्वास  ,बिना मतलब के वहम् है लोगो के ,हम लोग आस्था और अन्धविश्वास में अंतर करना भूल गए है। आप भगवान को याद करने के लिए मन्दिर जाते है। यहाँ तक तो सही है। पर ऐसे विचार मन में लाना , यदि आज में मंदिर नहीं गया तो मेरे साथ कुछ गलत हो जायेगा। यह कहा तक सही है ?आज घर में पूजा पाठ नहीं की इसलिए दिन अच्छा नहीं जायेगा। ऐसे कही तरह के लोगो के विश्वास होते है। मन में

                 भगवान को सच -मुच मैं क्या इन बातों से फर्क पढ़ता है। यदि आज सुबह मैने उन्हें जल नहीं चढ़ा या तो वो मेरे साथ बुरा करेंगे। यानि की भगवान भी  बदला लेंगे, मुझसे देख तू ने मेरी पूजा नहीं की ,इसलिए अब में तेरे साथ ऐसा करूँगा। भगवान ,भगवान किस बात का रहेगा ,यदि वो भी इंसानों की तरह सोचैगा।

            भगवान है तो समझे गा की बेचा रे की कोई मजबूरी रही होगी ,इसलिए आज नहीं आया , रोज तो आता है।  कल आ जायेगा।

            भगवान तो सिर्फ और सिर्फ प्रेम करता है। क्या,  कभी कोई  भगवान की बनी चीज फर्क करती है ? आप कोई भी भगवान की बनी चीज ली जिये ,चाहे वो हवा हो ,सूरज हो , पानी हो ,क्या कभी वो फर्क करते है।  यह आदमी अच्छा है इसलिए इसे तो सूरज की रोशनी मिलेगी ,यह आदमी बुरा है। इसलिए इसे सूरज की रोशनी नहीं मिलेगी।    क्या कभी कोई पेड़ फल देने से पहले सोचता है। की वो हिन्दू को देगा मुसलमान को नहीं या मुसलमान को देगा हिन्दुओ को नहीं। वो तो कोई भेद - भाव नहीं करता ,भगवान सिर्फ और सिर्फ  प्यार करता है बिना किसी भेद  भाव के ,चाहे वो हिन्दू का भगवान हो या मुस्लिमों का अल्लाह , या सिक्खो  के गुरु ग्रन्थ हो या ईसाइयो के जिसस , फिर हम सब भगवान को मानने वाले हिंसक कब से हो गए ?,हमे भी तो प्यार करना चाहिए जैसे वो सब को करता है , उसी के तो अंश है। हम, और उसी के  नक्शे कदम पर चलना चाहिए हमे।

                 एक और छोटी सी कहानी है। एक बार एक महिला जिज्ञासु ने राम कृष्ण परमहँस जी से पूछा ,क्या पंडित लोग ग्रहों की पूजा करके उसकी प्रतिकूलता को अनुकूलता में बदल सकते है। परमहँस जी ने कहाँ ग्रह नक्षत्र इतने क्षुद्र नहीं है। जो किसी पर अकारण उलटे सीधे होते रहे ,और ना उनकी प्रसन्ता ऐसी है। जो छूट -पुट कर्मकाण्डों से बदलती रहे। और पण्डितों के पास उनकी एजेंसी भी नहीं ,की उन्हें दक्षिणां देने पर ग्रहों को जैसा चाहे नाच -नचाया जा सके।

             हम अपने अन्धविश्वास पर इस हद तक विश्वास कर लेते है। की कुछ सोच समझने तक को तैयार नहीं।

             तो बस में आप यही कहना चाहती हुँ। पूजा की जिये पाठ की जिये भक्ति में शक्ति है ,मीरा ने भी की थी।  पर किसी अन्धविश्वास में मत फंसिए। यह सब आपकी मन की शक्ति के लिए होना चाहिए। जो आपको हर दुःख और दर्द से लड़ने की हिम्मत दे।

     और साथ -साथ जो लोग पूजा पाठ  नहीं   करते है। किसी भी वजह से इसका मतलब यह नहीं की वो नास्तिक है। और भगवान को नहीं मानते। हो सकता है। उनकी आस्था आप से भी ज्यादा हो भगवान पर पर वो लोग शायद जरूरी नहीं समझते की पूजा पाठ जरूरी है। हो सकता है उनके लिए मानव सेवा ही पूजा हो या फिर अपने कर्तव्यों को ईमानदारी से पूर्ण करना ही पूजा पाठ हो तो कभी किसी पर भी उसकी पूजा पाठ को लेकर सवाल उठाना गलत है। हर किसी की अपनी आस्था और अपनी priority है। जो करते है वो भी सही है। और जो नहीं करते वो भी सही है। और शायद जो बिलकुल नहीं मानते है वो भी सही है क्यो कि इसके लिए उनके पास अपने तर्क है।

                                                धन्यवाद 

              

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