गुरुवार, 17 सितंबर 2015

HINDI DIWAS PAR HINDI ME KHAS

नमस्कार दोस्तों आज फिर आप सब से कुछ बात चित करने का मन हो आया फिर कोशिश कर रही हुँ। कुछ अच्छा लिखने कि। यह ब्लॉग हिंदी दिवस के दिन लिख रही हुं और चाहती हुं कि आज पूर्ण ब्लॉग हिंदी में ही लिखुँ ,पर शायद, अभी मेरे लिए संभव ना हो सके, पर पूरी कोशिश करुँगी , जैसा आपने देखा होगा आज हेलो फ्रेंड्स की जगह नमस्कार दोस्तों लिखा। में अपने ब्लॉग में अँग्रेजी भाषा का इस्तेमाल इसलिए करती हुं की वो आम बोल चाल की भाषा हो जाये। जिससे आप और में आसानी से जुड़ सके।

              आज में आप सब से हिंदी के बारे में बात करना चाहती हुँ। जो हमारी मातृ भाषा है जिसके साथ हम जन्म लेते है। जब कोई नव -जात शिशु जन्म लेता है और जब वो बोलना शुरू करता है। तो अपनी मातृ भाषा में तमाम शब्द बोलना शुरू करता है। जैसे माँ , पापा आदि। क्योंकि हिंदी भाषा उसके सबसे अधिक करीब होती है। फिर आखिर कुछ सालों में ऐसा क्या हो जाता है ?कि हमे उसे, अन्य भाषाएँ पढ़ाने में इतने मशगूल कर देते है। की उसे हिंदी पढ़ना लिखना तक मुश्किल लगने लगता है। उस बच्चे को हिंदी में सौ तक गिनती तक नहीं आती। क्योंकि ,उसको हमने कभी सिखाई ही नहीं होती। अन्य भाषाएँ पढ़ाने में इतना मशगूल कर देते है।की उसे कभी अपनी मातृ भाषा का महत्व ही नहीं समझाते। ना समझाते है। ना समझते है अपनी मातृ भाषा का महत्व।

                सभी भाषाएँ अच्छी है। सबका बोलना पढ़ना समझना चाहिए। हर भाषा का अपना महत्व होता है। अपना अस्तित्व है। पर यह कब सही हो गया ?कि जब आप किसी पंच सितारा होटल में प्रवेश करे तो अँग्रेजी बोलने वाले युवक को तो पढ़ा लिखा, और हिंदी में बात करने वाले को अन पढ़ समझे। क्योंकि वो अपनी मातृ भाषा में आपसे सवांद कर रहा है।

                       यह तो गलत है।

                     हमारी भाषा हिंदी ने तो हमे मीरा  ,तुलसी, सुर  ,कबीर  ,जैसे अनेक महानतम कवि दिए।  और तमाम हिंदी साहित्यकार ,जैसे मुंशी प्रेम चंद  ,मैथिली शरण गुप्त ,हजारी प्रसाद द्विवेदी , सूर्य कांत त्रिपाठी निराला ,हरि वश राय बच्चन जी , जैसे तमाम साहित्यकार और कवि और दिए जिसने हिंदी को गौरवान्वित किया। और इस देश की विंडम्बना देखिये, अपनी भाषा का भी हमे दिन मानना पढ़ता है। जिस भाषा के साथ हम उठते है खाते है पीते है सोते है और अपना पूरा दिन व्यतीत करते है।हिंदी तो हमारे दिल में धड़कती है। पर उसी भाषा में जब पत्र लिखने में भी संकोच करते है तो दुःख होता है। अमिताभ बच्चन जैसे महान कलाकार ने भी जब अपने k.b.c जैसे कार्यक्रम की होस्टिंग की तो संपूर्ण रूप से हिंदी में,जिसे पूरे भारत ने सराहा ,हिंदी भाषा का अपना एक सौंदर्य है अपना वर्चस्व है ,अपना एक कौशल है ,और अपनी भाषा के लिए जरा सी भी हीन भावना रखना गलत है। और अब  तो हिंदी गूगल तक पहुंच गयी। सव सौ करोड़ देश वासियो की भाषा है हिंदी। 

       मुझे आश्चर्य होता है यह देखकर ,जब आज की युवा पीढ़ी ,अपने दिल की बात करने जाती है। तो अंग्रेजी भाषा की चार लाइन रट कर जाती है। की सामने वाले पर  प्रभाव अच्छा पड़ेगा। क्या है यह? आप अपने दिल की बात करने जा रहे है तो उस भाषा में बात करिये जो आपके दिल के करीब हो। तभी तो संवाद  अच्छा होगा।

                     क्या आप अपनी भाषा को इस काबिल भी नहीं समझते की उस भाषा में आप अपनी दिल की बात कर सके। ?

          हिंदी अपने आप में एक समृद्ध भाषा है। हमारे पास एक ही चीज को कहने के लिए  अनेक शब्द है जैसे भगवान। अल्लाह ,परमेश्वर ,ख़ुदा , ईश्वर,  एक  भगवान को याद करने के लिए हमारे पास इतनी समृद्ध सम्पदा  है  उसी  तरह जल और पानी, जब हम पिने के लिए मांगते है तो पानी पर जब पूजा के लिए मांगते है तो जल  हमारे पास उसके हर स्वरूप के लिए शब्द है। हमारे पास इतनी समृद्ध  सम्पदा है। हीरे है जवाहरात है। तो पत्थर के पीछे क्यों भागे। दो सौ करोड़ लोगो के बोल -चाल की भाषा है हिंदी बहुत ही सामर्थ्य वान इतहास है हिंदी भाषा का अनेको कवि यों और साहित्य कारों ने हिंदी को गौरवान्वित किया है और उसके बाद भी यदि हमने अपनी भाषा माँ हिंदी को सम्मान नहीं दिया। तो यह उस भाषा और माँ के प्रति अन्याय है। जो इतनी विकसित है।

            और अंत में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की हिंदी पर कविता

                      लगा रही प्रेम हिंदी में ,पढ़ु हिंदी लिखू हिंदी ,चाल चलन हिंदी

                ओढ़ना पहनना और खाना हिंदी


                       इन्ही पंक्तियों के साथ

                                       जय हिन्द

                                                            जय भारत



     











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