मंगलवार, 15 सितंबर 2015

Shiksha OR Hunar saath saath

Haii friends आज में फिर अपना एक blog लिखने जा रही हुँ जो शिक्षा प्राणली  के बारे में है। हालांकि यह विचार मेरे नहीं है। deputy C.M Manish sisodia ji के है। जिनका मैने ,आज एक lacture सुना जिससे में बहुत प्रभावित हुई। उसी speech के कुछ अंश में आप सब से शेयर करना चाहती हुँ। 


        मेरा बचपन में एक ख्वाब था। की मे शिक्षक बनु। पर बचपन की नादानी की वजह से में शिक्षक नहीं बनी ।उस समय यह सोचा ही नहीं में क्या बनना चाहती हु।? आज सात साल की job के बाद समझ में आता है। की शायद कुछ खोया है। जो बनना चाहती थी।  शायद वो बनती तो आज किसी और ऊचाइयों पर होती। काम बोझ नहीं लगता। मन लगता उसे करने में। खेर कोई बात नहीं बहुत अच्छी job है मेरी, सुखी हु comfort level में हुँ। और सब अच्छा है अपनी बात लोगो तक पहुँचाने के लिए blog लिखना शुरू कर दिया है। मैने 


          पर आज  ,जब पीछे मुड़कर देखती या सोंचती हुँ की यह बात उस वकत,  मेरी समझ मै क्यों नहीं आई ? क्यों मेरे पास इतना समय अपने लिए ही नहीं था। कि पाँच मिनट शान्ति से बैठ कर यह सोचती की जो मुझे बनना है वो क्यों बनना है? और जो मुझे करना है वो क्यों करना है। ?झट -पट 12 की जिस field में number आया उस course में  admission ले  लिया  और फिर job मिल गयी। कभी यह सोचा ही नहीं कि क्या सिर्फ जिन्दगी में पैसे कमाने की मशीन बनना है?। या कुछ ऐसा करना है जिसमे अपनी संतुष्टि हो। 

        इसके कारण खोजने शुरू किये मैने ,आखिर क्यों उस वकत  यह सब मेरी समझ में                                          नहीं आया?जो शायद  sir की बात सुनने पर कुछ समझ में आया है। 


   पहला कारण शायद इतना syllabus की उसे पढ़ने  रटने और number लाने की दौड़ में। कि कही class में किसी से पीछे ना रहे जाये ,कभी यह सोचा ही नहीं की यह सब पढ़ना क्यों है। और यह सब पढ़कर बनना क्या है। बस यही रहा, कि किसी तरह पाठ्यक्रम समझो,परिक्षा उत्तरिीण करो। और अगली कक्षा में प्रवेश कर जाओ।  इतना  space  ही नहीं मिला की इससे बहार जाकर भी कुछ सोचा जा सके। एक assets की तरह खुद को तैयार करना था। जो नौकरी लग सके ,और कमा सकें।

             उस बच्चे का अपना talent क्याहै उसका शोाक क्या है। वो जिंदगी मै क्या करना चाहता है यह कभी उस बच्चे से ना तो किसी teacher ने पुछा,ना किसी  parents ने ,और न उसने खुद अपने आप से ,बस किसी तरह नौकरी लगे और पैसा कमाना शुरू कर दे , इससे बहार का thought process ना तो वो बच्चा कभी सोच पाया ,और ना वो माँ -बाप और ना  teacher जो चाहते तो बच्चे का भला ही  थे। पर शायद कर नहीं पाये। 

                                                                    क्योकि यदि वो बच्चा , वो करता, जो वो करना चाहता था । तो शायद वो ज्यादा अच्छी तरह से कर पाता । ज्यादा लगन से कर पाता। और शायद इससे भी कई ज्यादा उचाईयो को छु पाता 

       मेरा आज हर माता -पिता से यह हाथ जोड कर निवेदन है। की बच्चों को वो बनने दे जो वो बनना चाहते है अपनी फालतु की अपेक्षाएं उस बच्चे पर मत थोपिये। अगर वो सच में कोई skill talented है तो उसे वो करने दीजिये। 

       अपने बच्चे को education दीजिये पर एक अच्छा इंसान बनने के लिए। ताकि वो बच्चा बड़े होकर कोई गलत काम ना करे। उसमे शिक्षा के द्वारा इतनी समझ उत्पन्न हो कि वो सही और गलत का फर्क समझ सके। 


        हमारी शिक्षा प्राणली को इतना लचीला होना पढ़ेगा कि वो हुनर की कदर कर सके। वो बच्चे को वो बनने में मदद कर सके जो वो बनना चाहता है। फिर चाहे वो musician हो। dancer हो writer हो या teacher या कुछ भी। ताकि वो बच्चा समय रहते अपनी प्रतिभा पहचान सके और  उसे विकसित कर सके। और उसी के बल -बुते अपनी रोजी रोटी कमा सके।इससे वो बच्चा भी खुश रहेगा। और देश विकास कर सकेगा। 

            हमारे system को यह जिम्मेदारी हर हाल में लेनी होगी। कि  वो बच्चे को वो बनने में मदद करे जो वो बच्चा बनना चाहता हो। उसके अपने अस्तित्व और पहचान की कदर हो। 

    हम सब को मिलकर शिक्षा कि दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होगे। जिससे जब कोई बच्चा अपनी scholing कर के निकले तो  ,वो एक काबिल इंसान हो,   उसे मालूम हो कि उसे अपनी आगे कि जिंदगी कैसे काटनी है। ना  की एक ऐसा व्यक्ति जो इतना असमंजस में हो ,की यदि उसे कही admission न मिले तो वो कोई गलत कदम उठा ले। कही admission मिले, चाहे ना मिले, वो अपनी क़ाबलियत के बल पर कुछ कर सके। 


              शिक्षा के स्वरुप को एक सीमित दायरे से बहार निकालकर एक व्यापक जिम्मेदारी लेनी होगी। तभी इस देश और समाज का कल्याण होगा। और भारत सच में उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा। इसी उम्मीद के साथ। 

                  

                                           जय हिन्द 

                                                                   जय भारत 

 

                                         












































































कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें