SAHI DISHA
Hai friends आज फिर मै कोशिश कर रही हुँ। दिल से कुछ लिखने की। और यह सोच रही हुँ कि आखिर मैंने लिखना क्यों शरू किया , ना तो मैं ,बहुत अच्छी कवि, और ना ही कोई साहित्यकार, काफी सोचने के बाद मुझे यह समझ में आया, शायद इसलिए , कि जो कुछ भी मैने इस समाज से लिया, और सीखा ,अगर उसका धूल भर भी , में शायद अपने लेखन के जरिये लौटा सकु तो शायद इसे अच्छी किस्मत नहीं होगी मेरी।
हम ज़िन्दगी भर यही चाहते है बस हमें मिलता रहे। देना ना पड़े। कितनी बार हम सच में बैठकर यह सोचते है कि जिस समाज से और जिस ईश्वर ने हमें हमारी जरुरतो से भी ज्यादा हमें दिया। उसे वापिस क्या दिया हमने, सिर्फ ज़िन्दगी भर शिकायत।
दोस्तों इस शिकायत को पीछे छोड़ हमें देखना होगा जो हमें जो मिला वो किसी से कम नहीं, और हम फिर भी शिकायत करते रहे। आप देखिये आपने जन्म लिया, भगवान ने दो हाथ दिए कर्म करने के लिए ,दो आँखे दी इस जहाँ को देखने के लिये, एक प्यारा सा दिल दिया मोहबत करने के लिए , बुद्धि दी सही और गलत को समझने के लिए,और भी शायद इतना कुछ ,की लिखने लगी तो शब्दों में वर्णन करना मुश्किल हो जायेगा। इतनी रहमत दी उसने और हम शिकायत करते रहे। माँ बाप दिए घर- बार दिया। और इसमें से यदि किसी को कुछ कम मिला भी तो ,उसे किसी और रूप में, ईश्वर ने अधिक शक्ति और प्रेरणा दी। और उसकी कृपा बरसती रही।
आप खुद सोचिये यदि किसी बच्चे के माँ बाप अपनी तरफ से हर संभव wish बच्चे की पुरी करे जो वो कर सकते हो। और वो बच्चा सिर्फ शिकायत ही करता रहे तो माँ बाप को कैसा लगेगा। उसी तरह हम सब उस ईश्वर की संतान है जिससे हम सिर्फ शिकायत ही करते है अपनों को दुसरो से compare करके। कभी उसका धन्यवाद नहीं देते।
हमारी हर जरुरत से ज्यादा दिया उस प्रभु ने, फिर भी हम शिकायत करते रहे। कि प्रभु आपने हमें यह नहीं दिया, और वो नहीं दिया। यह सिर्फ एक देखने का नजरिया है जिस दिन आपने यह देखना शरू कर दिया ,की आपको प्रभु ने क्या दिया ,बजाय यह देखने कि क्या नहीं दिया ,उस दिन यह शिकायते अपने आप खत्म हो जायेंगी। और आप निस्वार्थ भाव से समाज सेवा कि तरफ अपने आप को समर्पित करते चले जायेंगे बस कुछ नजरो का फर्क है जिसे सही दिशा में रखना जरूरी है
धन्यवाद
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