सोमवार, 5 अक्तूबर 2015
गुरुवार, 17 सितंबर 2015
HINDI DIWAS PAR HINDI ME KHAS
नमस्कार दोस्तों आज फिर आप सब से कुछ बात चित करने का मन हो आया फिर कोशिश कर रही हुँ। कुछ अच्छा लिखने कि। यह ब्लॉग हिंदी दिवस के दिन लिख रही हुं और चाहती हुं कि आज पूर्ण ब्लॉग हिंदी में ही लिखुँ ,पर शायद, अभी मेरे लिए संभव ना हो सके, पर पूरी कोशिश करुँगी , जैसा आपने देखा होगा आज हेलो फ्रेंड्स की जगह नमस्कार दोस्तों लिखा। में अपने ब्लॉग में अँग्रेजी भाषा का इस्तेमाल इसलिए करती हुं की वो आम बोल चाल की भाषा हो जाये। जिससे आप और में आसानी से जुड़ सके।
आज में आप सब से हिंदी के बारे में बात करना चाहती हुँ। जो हमारी मातृ भाषा है जिसके साथ हम जन्म लेते है। जब कोई नव -जात शिशु जन्म लेता है और जब वो बोलना शुरू करता है। तो अपनी मातृ भाषा में तमाम शब्द बोलना शुरू करता है। जैसे माँ , पापा आदि। क्योंकि हिंदी भाषा उसके सबसे अधिक करीब होती है। फिर आखिर कुछ सालों में ऐसा क्या हो जाता है ?कि हमे उसे, अन्य भाषाएँ पढ़ाने में इतने मशगूल कर देते है। की उसे हिंदी पढ़ना लिखना तक मुश्किल लगने लगता है। उस बच्चे को हिंदी में सौ तक गिनती तक नहीं आती। क्योंकि ,उसको हमने कभी सिखाई ही नहीं होती। अन्य भाषाएँ पढ़ाने में इतना मशगूल कर देते है।की उसे कभी अपनी मातृ भाषा का महत्व ही नहीं समझाते। ना समझाते है। ना समझते है अपनी मातृ भाषा का महत्व।
सभी भाषाएँ अच्छी है। सबका बोलना पढ़ना समझना चाहिए। हर भाषा का अपना महत्व होता है। अपना अस्तित्व है। पर यह कब सही हो गया ?कि जब आप किसी पंच सितारा होटल में प्रवेश करे तो अँग्रेजी बोलने वाले युवक को तो पढ़ा लिखा, और हिंदी में बात करने वाले को अन पढ़ समझे। क्योंकि वो अपनी मातृ भाषा में आपसे सवांद कर रहा है।
यह तो गलत है।
हमारी भाषा हिंदी ने तो हमे मीरा ,तुलसी, सुर ,कबीर ,जैसे अनेक महानतम कवि दिए। और तमाम हिंदी साहित्यकार ,जैसे मुंशी प्रेम चंद ,मैथिली शरण गुप्त ,हजारी प्रसाद द्विवेदी , सूर्य कांत त्रिपाठी निराला ,हरि वश राय बच्चन जी , जैसे तमाम साहित्यकार और कवि और दिए जिसने हिंदी को गौरवान्वित किया। और इस देश की विंडम्बना देखिये, अपनी भाषा का भी हमे दिन मानना पढ़ता है। जिस भाषा के साथ हम उठते है खाते है पीते है सोते है और अपना पूरा दिन व्यतीत करते है।हिंदी तो हमारे दिल में धड़कती है। पर उसी भाषा में जब पत्र लिखने में भी संकोच करते है तो दुःख होता है। अमिताभ बच्चन जैसे महान कलाकार ने भी जब अपने k.b.c जैसे कार्यक्रम की होस्टिंग की तो संपूर्ण रूप से हिंदी में,जिसे पूरे भारत ने सराहा ,हिंदी भाषा का अपना एक सौंदर्य है अपना वर्चस्व है ,अपना एक कौशल है ,और अपनी भाषा के लिए जरा सी भी हीन भावना रखना गलत है। और अब तो हिंदी गूगल तक पहुंच गयी। सव सौ करोड़ देश वासियो की भाषा है हिंदी।
मुझे आश्चर्य होता है यह देखकर ,जब आज की युवा पीढ़ी ,अपने दिल की बात करने जाती है। तो अंग्रेजी भाषा की चार लाइन रट कर जाती है। की सामने वाले पर प्रभाव अच्छा पड़ेगा। क्या है यह? आप अपने दिल की बात करने जा रहे है तो उस भाषा में बात करिये जो आपके दिल के करीब हो। तभी तो संवाद अच्छा होगा।
क्या आप अपनी भाषा को इस काबिल भी नहीं समझते की उस भाषा में आप अपनी दिल की बात कर सके। ?
हिंदी अपने आप में एक समृद्ध भाषा है। हमारे पास एक ही चीज को कहने के लिए अनेक शब्द है जैसे भगवान। अल्लाह ,परमेश्वर ,ख़ुदा , ईश्वर, एक भगवान को याद करने के लिए हमारे पास इतनी समृद्ध सम्पदा है उसी तरह जल और पानी, जब हम पिने के लिए मांगते है तो पानी पर जब पूजा के लिए मांगते है तो जल हमारे पास उसके हर स्वरूप के लिए शब्द है। हमारे पास इतनी समृद्ध सम्पदा है। हीरे है जवाहरात है। तो पत्थर के पीछे क्यों भागे। दो सौ करोड़ लोगो के बोल -चाल की भाषा है हिंदी बहुत ही सामर्थ्य वान इतहास है हिंदी भाषा का अनेको कवि यों और साहित्य कारों ने हिंदी को गौरवान्वित किया है और उसके बाद भी यदि हमने अपनी भाषा माँ हिंदी को सम्मान नहीं दिया। तो यह उस भाषा और माँ के प्रति अन्याय है। जो इतनी विकसित है।
और अंत में पंडित राम प्रसाद बिस्मिल की हिंदी पर कविता
लगा रही प्रेम हिंदी में ,पढ़ु हिंदी लिखू हिंदी ,चाल चलन हिंदी
ओढ़ना पहनना और खाना हिंदी
इन्ही पंक्तियों के साथ
जय हिन्द
जय भारत
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मंगलवार, 15 सितंबर 2015
Shiksha OR Hunar saath saath
Haii friends आज में फिर अपना एक blog लिखने जा रही हुँ जो शिक्षा प्राणली के बारे में है। हालांकि यह विचार मेरे नहीं है। deputy C.M Manish sisodia ji के है। जिनका मैने ,आज एक lacture सुना जिससे में बहुत प्रभावित हुई। उसी speech के कुछ अंश में आप सब से शेयर करना चाहती हुँ।
मेरा बचपन में एक ख्वाब था। की मे शिक्षक बनु। पर बचपन की नादानी की वजह से में शिक्षक नहीं बनी ।उस समय यह सोचा ही नहीं में क्या बनना चाहती हु।? आज सात साल की job के बाद समझ में आता है। की शायद कुछ खोया है। जो बनना चाहती थी। शायद वो बनती तो आज किसी और ऊचाइयों पर होती। काम बोझ नहीं लगता। मन लगता उसे करने में। खेर कोई बात नहीं बहुत अच्छी job है मेरी, सुखी हु comfort level में हुँ। और सब अच्छा है अपनी बात लोगो तक पहुँचाने के लिए blog लिखना शुरू कर दिया है। मैने
पर आज ,जब पीछे मुड़कर देखती या सोंचती हुँ की यह बात उस वकत, मेरी समझ मै क्यों नहीं आई ? क्यों मेरे पास इतना समय अपने लिए ही नहीं था। कि पाँच मिनट शान्ति से बैठ कर यह सोचती की जो मुझे बनना है वो क्यों बनना है? और जो मुझे करना है वो क्यों करना है। ?झट -पट 12 की जिस field में number आया उस course में admission ले लिया और फिर job मिल गयी। कभी यह सोचा ही नहीं कि क्या सिर्फ जिन्दगी में पैसे कमाने की मशीन बनना है?। या कुछ ऐसा करना है जिसमे अपनी संतुष्टि हो।
इसके कारण खोजने शुरू किये मैने ,आखिर क्यों उस वकत यह सब मेरी समझ में नहीं आया?जो शायद sir की बात सुनने पर कुछ समझ में आया है।
पहला कारण शायद इतना syllabus की उसे पढ़ने रटने और number लाने की दौड़ में। कि कही class में किसी से पीछे ना रहे जाये ,कभी यह सोचा ही नहीं की यह सब पढ़ना क्यों है। और यह सब पढ़कर बनना क्या है। बस यही रहा, कि किसी तरह पाठ्यक्रम समझो,परिक्षा उत्तरिीण करो। और अगली कक्षा में प्रवेश कर जाओ। इतना space ही नहीं मिला की इससे बहार जाकर भी कुछ सोचा जा सके। एक assets की तरह खुद को तैयार करना था। जो नौकरी लग सके ,और कमा सकें।
उस बच्चे का अपना talent क्याहै उसका शोाक क्या है। वो जिंदगी मै क्या करना चाहता है यह कभी उस बच्चे से ना तो किसी teacher ने पुछा,ना किसी parents ने ,और न उसने खुद अपने आप से ,बस किसी तरह नौकरी लगे और पैसा कमाना शुरू कर दे , इससे बहार का thought process ना तो वो बच्चा कभी सोच पाया ,और ना वो माँ -बाप और ना teacher जो चाहते तो बच्चे का भला ही थे। पर शायद कर नहीं पाये।
क्योकि यदि वो बच्चा , वो करता, जो वो करना चाहता था । तो शायद वो ज्यादा अच्छी तरह से कर पाता । ज्यादा लगन से कर पाता। और शायद इससे भी कई ज्यादा उचाईयो को छु पाता
मेरा आज हर माता -पिता से यह हाथ जोड कर निवेदन है। की बच्चों को वो बनने दे जो वो बनना चाहते है अपनी फालतु की अपेक्षाएं उस बच्चे पर मत थोपिये। अगर वो सच में कोई skill talented है तो उसे वो करने दीजिये।
अपने बच्चे को education दीजिये पर एक अच्छा इंसान बनने के लिए। ताकि वो बच्चा बड़े होकर कोई गलत काम ना करे। उसमे शिक्षा के द्वारा इतनी समझ उत्पन्न हो कि वो सही और गलत का फर्क समझ सके।
हमारी शिक्षा प्राणली को इतना लचीला होना पढ़ेगा कि वो हुनर की कदर कर सके। वो बच्चे को वो बनने में मदद कर सके जो वो बनना चाहता है। फिर चाहे वो musician हो। dancer हो writer हो या teacher या कुछ भी। ताकि वो बच्चा समय रहते अपनी प्रतिभा पहचान सके और उसे विकसित कर सके। और उसी के बल -बुते अपनी रोजी रोटी कमा सके।इससे वो बच्चा भी खुश रहेगा। और देश विकास कर सकेगा।
हमारे system को यह जिम्मेदारी हर हाल में लेनी होगी। कि वो बच्चे को वो बनने में मदद करे जो वो बच्चा बनना चाहता हो। उसके अपने अस्तित्व और पहचान की कदर हो।
हम सब को मिलकर शिक्षा कि दिशा में कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाने होगे। जिससे जब कोई बच्चा अपनी scholing कर के निकले तो ,वो एक काबिल इंसान हो, उसे मालूम हो कि उसे अपनी आगे कि जिंदगी कैसे काटनी है। ना की एक ऐसा व्यक्ति जो इतना असमंजस में हो ,की यदि उसे कही admission न मिले तो वो कोई गलत कदम उठा ले। कही admission मिले, चाहे ना मिले, वो अपनी क़ाबलियत के बल पर कुछ कर सके।
शिक्षा के स्वरुप को एक सीमित दायरे से बहार निकालकर एक व्यापक जिम्मेदारी लेनी होगी। तभी इस देश और समाज का कल्याण होगा। और भारत सच में उन्नति के पथ पर अग्रसर होगा। इसी उम्मीद के साथ।
जय हिन्द
जय भारत
बुधवार, 19 अगस्त 2015
SOACH BADLIYE , BHARAT BADLIYE
Hello friends आज फिर में अपना एक और blog लिखने जा रही हुँ। जो विवाह से संबधित है। आज मैने अपने साथियो द्वारा एक बात सुनी। एक युवक और युवती को घर से भागकर विवाह करना पड़ा। क्योकि उनका समाज उन्हें यह इजाजत नहीं देता था ,की वो एक गाँव के है। और शादी करे।
आप भी आए दिन।, ऐसी खबरे खुब सुनते होंगे। कभी किसी विशेष धर्म के कारण ,या किसी विशेष जाति के कारण विवाह होना सम्भव नहीं होता। जिसके कारण युवक और युवती घर से भाग कर शादी करते है।
परन्तु हद तो तब हो जाती है। जब बच्चों के parents ही बच्चों का साथ ,देने के बजाय उनके खिलाफ हो जाते है। और यह कह देते है। तुम्ने हमारी नाक कटवा दी है। यदि तुम हमे कही दिखे तो हम तुम्हे गोली मरवा देंगे। और सच में कई लोग तो मरवा भी देते है। आपने सुना होगा तमाम news channelo पर।
मुझे समझ में नहीं आता आखिर, ऐसा कोन सा गुनाह या पाप किया है। इन लोगो ने जिसके लिए आप इन्हे गोली से मरवा देंगे। आपको किसने हक़ दिया है। किसी की जान लेने का ,सिर्फ अपनी मर्जी से अपनी ,शादी ही तो कर रहे है। भागने पर तो इन्हें मज़बूर किया आपने ,यदि आप अपनी मर्जी से विवाह करा देते ,तो क्यों भागते बेचारे।
और देखिये ,जो लोग इस बात का समर्थन कर रहे थे। कि इन्हे गोली से मरवा दिया जानी चाहिए। वो किसी पुरानी पीढ़ी के लोग नहीं थे। कि जिनकी सोच को बदला ना जा सके। कुछ मेरे जैसे ही युवा साथी थे जो इस बात का समर्थन कर रहे थे। और जब मैने उन्हें कुछ समझाने की कोशिश करी तो। किसी तरह उन लोगो नै मुझे ही गलत ठहरा दिया।
आप बताइए ,क्या किसी लड़के या लड़की को ,शादी जैसे पवित्र बंधन में बंधने के लिए ,यह आवश्यक नहीं है की वर और वधु उसकी पसंद से हो। आखिर पुरी जिंदगी उन्होंने ,उस इंसान के साथ गुजारनी है कैसे जिंदगी गुजारेंगे यदि वो रिश्ता ,उनकी पसंद से नहीं है तो ?
हम सब प्रेम से परिपूर्ण picture ओ को तो बड़ा enjoy करते है। पर उस सोच को कब अपनाएंगे जब हम हर एक युवक और युवती को हक़ देंगे की वो अपनी मर्जी से विवाह कर सके।
आखिर क्यों हमे ऐसी खबरे सुने को मिलती है। की कोई युवक और युवती यदि अपनी मर्जी से विवाह करता है चाहे किसी और religion से हो, या किसी विशेष समाज के अन्दर ,आखिर क्यों उन्हें ऐसी धमकी दी जाती है खाप पंचायतो द्वारा की हम तुम्हे गोली मरवा देंगे। तुमने बहुत गलत काम किया है हमारी इज्जत ताक पर रख दी है। आखिर क्या है यह सब ?आखिर ऐसा कौन सा गुनाह किया है जिसके लिए उन्हें गोली मार दी जाये। ? क्या किसी का बलात्कार किया है ?या किसी का मर्डर किया है?जिसके लिए उन्हें गोली मार दी जाये ?सिर्फ की है अपनी मर्जी से शादी ,अपना life partner ही तो खुद चुना है जिसके साथ उन्हें जिंदगी बितानी है आखिर क्या है यह सब?कब हम सब कब , इस छोटी सोच से बहार निकलेंगे।
हम सब की भलाई इसी में है ,कि हम सब अपने बच्चो को ये हक़ दे की वो अपनी जिन्दगी के फैसले खुद ले।यदि उसमे वह नाकामयाब हो भी गए, तो जिंदगी भर आपको नहीं कोसेंगे। की आपने मेरी शादी इससे कराई ,और मेरी जिन्दगी खराब कर दी। और इस बात की भी कोई गारंटी नहीं है, जो रिश्ता आप चुने वह सही ही हो ,और वो जिंदगी भर उस रिश्ते में सुखी ही रहेंगे। बल्कि वो रिश्ता तो झेलना उनके लिए एक मजबूरी है जिसमे आपने उन्हें जबरदस्ती बांध दिया है आप बच्ये के माँ -बाप है उसकी ख़ुशी चाहते है तो उसे ,उस रास्ते को चुनने में मदद कीजये जिसमे वह खुश रह सके और आप भी। माँ बाप की तो ख़ुशी ही बच्चो की ख़ुशी में होती है। नहीं तो,आपका बेटा या बेटी जिन्दगी भर आपको भी ,कोसेंगे। और उस इंसान को भी जिससे आपने उसकी जबरन शादी करा दी है। सोचो आखिर उस लड़का या लड़की का कसूर क्या है ? जिस रिश्ते में आपने उसे जबरदस्ती बाँधा है
एक साथ दो -तीन जिन्दगिया बरबाद कर देंगे। और फिर रोते रहेंगे,कि मेरे बच्चे पहले जैसे नहीं रहे.
अब हम 21 वी शताब्दी में जी रहे है। कम से कम अपने पूर्वजो से ही ,कुछ सीख ले। जिन्होंने उस समय पर भी माता सीता को वर चुनने की स्वंत्रता दी थी।
यह दुःख तब और बढ़ जाता है। जब कोई युवा लड़का या लड़की इस तरह कि बात करते है। कि उस प्रेमी जोड़ी को गोली मार देनी चाहिए। आप तो युवा सोच हो। आपको दुनिया की सोच बदलनी है। अगर आप ऐसा सोचेंगे ,तो कौन इस सोच को बदलेगा।
please इस छोटी सोचो से बहार निकले।
आगे आइए सोच बदलिये ,भारत बदलिये
गुरुवार, 13 अगस्त 2015
EK KHAT HINDU MUSLMAAN EKTA KE NAAM
haii friends में आज फिर अपना एक ब्लॉग लिखने जा रही हुँ ,जो हिन्दू मुसलमान एकता के बारे में है मुझे समझ में नहीं आता क्यों लड़ते रहते है हम? आपस में, वो भी ऐसी छोटी- छोटी बातो के लिए जिसका कोई वजूद नहीं है। मुझे बहुत दुःख होता है जब कोई हिन्दू भाई, मुसलमानो की बुराई करता है। क्यों करता है मेरी समझ से परे है मेरी आत्मा पेरशान हो उठती है जब कोई कहता है मुसलमानो को पाकिस्तान भेज देना चाहिए। क्यों भी ?उनका भी इस मुल्क पर उतना ही हक़ है जितना की हमारा, हमारे देश पर।
हमारा देश एक धर्म निरपेक्ष देश है। उस देश में आखिर ऐसी प्रतिक्रिया ही क्यों ?क्यों हम हर धर्म के लोगो को स्वीकार नहीं कर पाते।
एकता में अनेकता ,और अनेकता में एकता ,यही तो हमारी U.S.P है कब हम समझेंगे के जिस देश पर जितना हक़ हमारा है उतना ही हक़ हर धर्म के शख्स का है कोई भी शख्स पहले भारत वासी है बाद में कुछ और।
बहुत कुछ दिया है मुसलमानो ने इस देश को ,तीन महान Actor आज के दौर के ,जिनकी शायद ही कोई Picture flop होती हो। सलमानखान ,शाहरुख खान, और आमिर खान। मुझे समझ में नहीं आता क्या इन लोगो की picture सिर्फ मुसलमान भाई देखने जाते है ?नहीं ना, हर वो शख्स इनकी picture देखने जाता है जो इनके Talent से और इनकी मेहनत से प्यार करता है फिर क्यों कुछ लोग लड़तै है और कहा यह सोच पनपती है की किसी के खान होने से उसके साथ भेदभाव किया जायेगा।
मैने एक बहुत अच्छी line पढ़ी थी। की हिन्दू मुस्लिम भाई -भाई ,पर हम कहते तो है पर मानते नहीं है , मानते होते तो कहते नहीं ,क्या अपने भाई को हमें रोज यह कहने की जरुरत महसूस होती है की तू मेरा भाई है नहीं ना , वो universal truth है की वो मेरा भाई है। कहने के क्या जरुरत है।
उसी तरह हिन्दू और मुस्लिम अलग है ही नहीं, एक ही अल्लाह और भगवान के बनाए हुए इंसान है जिसे इस धरती पर रहने का पूरा हक़ है। अलग़ है ही नहीं तो फिर भेद -भाव क्यों ?
मुझे फिर एक line याद आती है ना तू हिन्दू बनेगा ,ना तू मुसलमान बनेगा ,इंसान की ओलाद है इंसान बनेगा।
पहले इंसान बन जाओ ,फिर यह सारी दूरिया अपने आप मिट जायेंगी। आपस में अपने आप इतना प्यार बढ़ जायेगा। की, फिर मुस्लमान को यह कहने की नौबत नहीं आएगी कि ,मेरे नाम में खान है इसलिए मेरे साथ दुर्व्यवहार किया जाता है ,और जहाँ चार हिन्दू बैठते है वहाँ मुसलमानो की बुराइया करते है।
और में अपने मुसलमान भाइयो से भी एक बात निवेदन करना चाहूंगी। सिर्फ चंद लोग जो सियासी रोटिया सकते है। या कुछ संकुचित सोच वाले व्यक्ति को छोड़कर ,पूरा हिन्दू समाज आपसे उतनी ही मोहबत करता है। की जितनी की आप
अगर ऐसा न होता तो , तमाम ऐसे लोग जिन्होंने नाम कमाया है चाहे वो हमारे पूर्व राष्ट्रपति A.P . J अब्दुल कलाम हो ,या शारुख खान हो , हमारी मोहबत भी, इन लोगो के साथ उतनी ही है जितनी की आप कि, हम सब भी उतना ही प्यार ,करते है जितना की आप।
एकता में शक्ति है ,एकता में संग़ठन है और इस एकता के बल बूते भारत को नयी उचाईयो पर लेकर जाइये। जो आप लोगो के बिना संभव ना हो सकेगा। हम जब साथ है तो भारत ,भारत है।
जय हिन्द
जय भारत
मंगलवार, 11 अगस्त 2015
SUNDAR SE KAVITA
Haii friends आज के blog में एक छोटी सी,सुन्दर सी कविता ,उम्मीद है इसे भी आप तेह दिल से पसंद करेंगे। कविता का शिर्षक है सुन्दर सी कविता।
मुझ पर तो किसी और कि खुमारी चढ़ी रहती है ,में क्या लिखूंगी कविता
लिखना भी चाहूंगी ,तो लिख नहीं पाऊँगी ,क्योकि मुझे तुम्हारी याद से ही फुरसत कहा ,
कुछ देर तुम्हे भुलु तो ?,कुछ लिख भी पाउ , पर ऐसा होता नहीं, कुछ देर ,तुम्हे भुलु
और लिख सकु में कविता ,
अब बताओ ,क्या इलाज़ है इस मर्ज़ का ,जो तुम्हे भुला जाऊ में कुछ देर ,
और लिख पाऊ एक सुन्दर से कविता ,एक सुन्दर सी कविता।
शनिवार, 1 अगस्त 2015
SAHI DISHA
Hai friends आज फिर मै कोशिश कर रही हुँ। दिल से कुछ लिखने की। और यह सोच रही हुँ कि आखिर मैंने लिखना क्यों शरू किया , ना तो मैं ,बहुत अच्छी कवि, और ना ही कोई साहित्यकार, काफी सोचने के बाद मुझे यह समझ में आया, शायद इसलिए , कि जो कुछ भी मैने इस समाज से लिया, और सीखा ,अगर उसका धूल भर भी , में शायद अपने लेखन के जरिये लौटा सकु तो शायद इसे अच्छी किस्मत नहीं होगी मेरी।
हम ज़िन्दगी भर यही चाहते है बस हमें मिलता रहे। देना ना पड़े। कितनी बार हम सच में बैठकर यह सोचते है कि जिस समाज से और जिस ईश्वर ने हमें हमारी जरुरतो से भी ज्यादा हमें दिया। उसे वापिस क्या दिया हमने, सिर्फ ज़िन्दगी भर शिकायत।
दोस्तों इस शिकायत को पीछे छोड़ हमें देखना होगा जो हमें जो मिला वो किसी से कम नहीं, और हम फिर भी शिकायत करते रहे। आप देखिये आपने जन्म लिया, भगवान ने दो हाथ दिए कर्म करने के लिए ,दो आँखे दी इस जहाँ को देखने के लिये, एक प्यारा सा दिल दिया मोहबत करने के लिए , बुद्धि दी सही और गलत को समझने के लिए,और भी शायद इतना कुछ ,की लिखने लगी तो शब्दों में वर्णन करना मुश्किल हो जायेगा। इतनी रहमत दी उसने और हम शिकायत करते रहे। माँ बाप दिए घर- बार दिया। और इसमें से यदि किसी को कुछ कम मिला भी तो ,उसे किसी और रूप में, ईश्वर ने अधिक शक्ति और प्रेरणा दी। और उसकी कृपा बरसती रही।
आप खुद सोचिये यदि किसी बच्चे के माँ बाप अपनी तरफ से हर संभव wish बच्चे की पुरी करे जो वो कर सकते हो। और वो बच्चा सिर्फ शिकायत ही करता रहे तो माँ बाप को कैसा लगेगा। उसी तरह हम सब उस ईश्वर की संतान है जिससे हम सिर्फ शिकायत ही करते है अपनों को दुसरो से compare करके। कभी उसका धन्यवाद नहीं देते।
हमारी हर जरुरत से ज्यादा दिया उस प्रभु ने, फिर भी हम शिकायत करते रहे। कि प्रभु आपने हमें यह नहीं दिया, और वो नहीं दिया। यह सिर्फ एक देखने का नजरिया है जिस दिन आपने यह देखना शरू कर दिया ,की आपको प्रभु ने क्या दिया ,बजाय यह देखने कि क्या नहीं दिया ,उस दिन यह शिकायते अपने आप खत्म हो जायेंगी। और आप निस्वार्थ भाव से समाज सेवा कि तरफ अपने आप को समर्पित करते चले जायेंगे बस कुछ नजरो का फर्क है जिसे सही दिशा में रखना जरूरी है
धन्यवाद
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